दुनिया में कहीं भी कोई बड़ा आतंकी या हिंसक हमला होता है, तो उसकी जड़ों की पड़ताल में अक्सर पाकिस्तान का नाम जुड़ जाता है। इसकी मुख्य वजह पाकिस्तान की वह जमीन है, जहाँ कथित तौर पर कई आतंकवादी अड्डे और प्रशिक्षण केंद्र सक्रिय हैं। ये अड्डे सामान्य नागरिकों को भी कट्टरपंथी शिक्षाओं के माध्यम से बदलकर हैवान बना देते हैं। चाहे भारत के कश्मीर में हुआ पहलगाम हमला हो, या हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुआ बॉन्डी बीच फायरिंग कांड, इन दोनों घटनाओं के मूल में पाकिस्तानी मूल के हमलावर ही थे।
यह विडंबना है कि एक तरफ तो पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताता है, वहीं दूसरी ओर उसी के देश से गए या उससे जुड़े लोगों की आतंकवादी मानसिकता पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बन जाती है। जब पहलगाम में आतंकवादियों ने लोगों से धर्म पूछ-पूछकर उन्हें मौत के घाट उतारा था, तब इसकी निंदा तो हुई, लेकिन जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की तो कई देश तटस्थ हो गए थे। अब एक प्रमुख पश्चिमी देश पर इस तरह का धर्म-आधारित हमला हुआ है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों का रिएक्शन क्या होगा, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तान को अरबों का डिफेंस पैकेज दिया है।
पहलगाम और बॉन्डी बीच हमले में समानता
पहलगाम और बॉन्डी बीच की गोलीबारी की घटनाओं में काफी डरावनी समानताएँ हैं:
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धर्म-आधारित हमला: सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों हमले धर्म-आधारित थे और इनमें विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। पहलगाम के आतंकियों ने जहां हिंदू धर्म मानने वालों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया, वहीं बॉन्डी बीच पर हमलावरों के निशाने पर यहूदी थे, जो हनुक्का मना रहे थे।
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मासूमों को निशाना: दोनों ही घटनाओं में मासूम और निर्दोष लोगों को निशाना बनाया गया, जो सिर्फ अपने त्यौहार या खुशी मनाने के लिए जुटे थे।
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परिणाम में अंतर: फर्क यह था कि बॉन्डी बीच शहर के बीच स्थित था, जिससे सुरक्षा बलों को हमलावरों को पकड़ने या मारने का मौका मिला। वहीं पहलगाम पहाड़ी इलाका होने के कारण वहाँ सुरक्षा कम थी और आतंकी हमले के बाद भाग निकलने में सफल रहे थे।
geopolitics और क्वाड पर असर
बॉन्डी बीच हमला ऑस्ट्रेलिया जैसे शांत देश में अंजाम दिया गया, जिसने पश्चिमी देशों की नींद उड़ा दी है। मारा गया हमलावर साजिद अकरम 1998 में ही पाकिस्तान से ऑस्ट्रेलिया आ गया था और यहीं बस गया था। उसके बेटे नावीर अकरम का जन्म भी ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ, लेकिन वह भी आतंकी मानसिकता से बच नहीं पाया। इन दोनों ने 'लोन वुल्फ अटैक' के रास्ते पर चलकर जो कत्ल-ए-आम मचाया, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही क्वाड (QUAD) संगठन के सदस्य देश हैं, जिसमें अमेरिका भी शामिल है। जब इस हमले के साथ पाकिस्तान का नाम जुड़ गया है, तो यह देखना बाकी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान पर कोई कठोर कार्रवाई करेंगे या नहीं, या यह मामला एक बार फिर कूटनीतिक दबाव के बीच दब जाएगा।