वॉशिंगटन/रियाद: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) 2018 के बाद पहली बार अमेरिका के दौरे पर हैं, लेकिन उनका यह दौरा एक बार फिर जमाल खशोगी की सात साल पुरानी हत्या से जुड़े विवादों के साये में आ गया है। हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक बैठक के दौरान प्रिंस से खशोगी की हत्या से जुड़ा सवाल पूछा गया, जिससे MBS असहज हो गए, और यह घटनाक्रम सऊदी के शाही परिवार से जुड़े इस विवादास्पद नाम को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ले आया है।
कौन थे जमाल खशोगी?
जमाल खशोगी का जन्म सऊदी अरब के मदीना में एक धनी और प्रभावशाली परिवार में हुआ था। उनका जीवन सऊदी के शाही परिवार के इर्द-गिर्द बीता; उनके दादा शाह अब्दुल अजीज के निजी चिकित्सक थे। खशोगी ने सऊदी के सबसे पुराने अखबार 'अल-मदीना' से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की और जल्द ही एक मुखर पत्रकार के रूप में विश्वभर में अपनी पहचान बनाई। वह सऊदी शाही परिवार के फैसलों पर खुलकर अपनी राय रखते थे, खासकर उन नीतियों की आलोचना करते थे जो उन्हें पसंद नहीं थीं। अपने करियर के दौरान, उन्होंने ओसामा बिन लादेन के हमलों पर भी आवाज उठाई और कई बार कुख्यात आतंकवादी का इंटरव्यू भी लिया। उन्होंने प्रतिष्ठित अल-वतन के संपादक के रूप में भी काम किया, जिसके बाद वह सऊदी अरब के राजदूत प्रिंस तुर्की अल-फैसल के सलाहकार और प्रवक्ता भी रहे।
सऊदी सत्ता परिवर्तन और खशोगी की आलोचना
2015 में किंग अब्दुल्ला के निधन के बाद सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने सत्ता संभाली और अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को रक्षा मंत्री बनाया। MBS ने यमन पर बमबारी का आदेश दिया, जिससे गृहयुद्ध के हालात बन गए। 2016 में, जमाल खशोगी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की, जिसने सऊदी शाही परिवार को असहज कर दिया, क्योंकि परिवार के कई सदस्य ट्रंप का समर्थन करते थे। इस आलोचना के बाद सऊदी सरकार ने खशोगी से दूरी बना ली और कहा कि उनके विचार सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। 2017 में, लेखकों की गिरफ्तारियों के बाद, खशोगी को अपना देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और वह अमेरिका चले गए। उसी वर्ष, मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बनाया गया।
इस्तांबुल में हुई हत्या: 2 अक्टूबर 2018
अमेरिका में रहते हुए, खशोगी कई बड़ी न्यूज साइटों के लिए तीखे लेख लिखते रहे, जो सऊदी सरकार को लगातार असहज कर रहे थे। 2018 में, अपनी शादी की तैयारी के लिए कुछ दस्तावेज़ लेने के लिए वह 2 अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास (Commercial Embassy) पहुँचे। उनकी मंगेतर बाहर इंतजार कर रही थीं। तुर्की खुफिया एजेंसियों के अनुसार, दूतावास में पहले से ही सऊदी सरकार द्वारा भेजे गए लोग मौजूद थे। दूतावास के अंदर जाने के करीब 10 मिनट बाद ही जमाल खशोगी की हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स और अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ही उनकी हत्या को मंजूरी दी थी। हालांकि, सऊदी अरब हमेशा इस आरोप से इनकार करता आया है।
MBS के वर्तमान अमेरिकी दौरे पर पत्रकारों ने खशोगी से जुड़े सवाल पूछे, जिसके जवाब में डोनाल्ड ट्रंप ने प्रिंस का बचाव करते हुए इसे केवल "एक घटना" बताया। 2018 के बाद पहली बार अमेरिका आए MBS के लिए यह दौरा, भले ही आधिकारिक हो, लेकिन खशोगी की हत्या का नैतिक और राजनीतिक बोझ अभी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका पीछा कर रहा है।