प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज के झूंसी के नीबी कला गांव की अंतरराष्ट्रीय धाविका सविता पाल का जीवन एक दर्दनाक सड़क हादसे में असमय समाप्त हो गया। महज 26 साल की सविता का नाम खेल जगत में देश-विदेश में चमका था, लेकिन दुख की बात यह है कि वह गुरुवार रात अपनी आखिरी सांस ले चुकीं। मंगलवार को हरियाणा के रोहतक में अभ्यास करते समय एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। इलाज के दौरान रेलवे अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
शुक्रवार को जब सविता का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, तो माहौल गमगीन हो गया। उनके माता-पिता, मां फोटो देवी और पिता फूलचंद पाल की चीखों से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सविता को गंगा किनारे नीबी घाट पर अंतिम विदाई दी गई, जहां सैकड़ों लोग श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सविता का परिवार खेती-किसानी और भेड़ पालन से गुजर-बसर करता था, और वह चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। बचपन से ही पढ़ाई के साथ खेल में भी रुचि रखने वाली सविता ने कोलकाता में रेलवे में खेल कोटे से नौकरी हासिल की थी। उन्होंने 5 और 10 किलोमीटर दौड़ में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते, जिनमें 2018 साउथ एशियन गेम्स का स्वर्ण और 2022 नेशनल सीनियर चैंपियनशिप का स्वर्ण शामिल था।
इस हादसे ने न सिर्फ उनके परिवार को गहरा सदमा पहुंचाया, बल्कि भारतीय एथलेटिक्स को भी एक प्रतिभाशाली धाविका को खोने का दुख सहना पड़ा। सविता के भाई सुरेंद्र और धीरेंद्र, जो उत्तर पूर्वी पुलिस अकादमी में कार्यरत हैं, और बड़ी बहन कविता इस शोक में डूबे हुए हैं। हर कोई यही कह रहा है कि सविता केवल एक एथलीट नहीं थीं, वह अपने गांव की प्रेरणा थीं।