प्रयागराज न्यूज डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशनों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वकील हड़ताल की आदत से बाज नहीं आए तो अध्यक्ष, सचिव समेत सभी पदाधिकारी अपने पद से हाथ धो बैठेंगे। कोर्ट ने साफ कहा कि न्यायिक कार्य से विरत रहकर अदालतों में ताले लगाना वकीलों का अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को बिना शर्त माफी देते हुए की।
मामला बलिया निवासी अजय कुमार सिंह से जुड़ा है, जिन्होंने चकबंदी अधिनियम से संबंधित विवाद की याचिका दाखिल की थी। बलिया बार एसोसिएशन की हड़ताल के कारण उनकी आपत्तियां लंबे समय तक लंबित रहीं। याची को मजबूरन हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा। सुनवाई के दौरान पता चला कि उनकी आपत्तियां 22 जनवरी को ही अधीनस्थ राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित हो चुकी हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन की हड़ताल को गंभीरता से लिया और इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करार दिया।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कैप्टन हरीश उप्पल मामले समेत अन्य फैसलों का हवाला देते हुए बलिया बार के अध्यक्ष और सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अदालत में पेश होकर बार अध्यक्ष राजेश कुमार ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने चेतावनी के साथ स्वीकार किया। अदालत ने कहा कि माफी का मतलब छूट नहीं है, अगली बार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी राजस्व और चकबंदी न्यायालयों को निर्देश दिया कि बार एसोसिएशन की ओर से न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को नजरअंदाज करें और अदालती कार्यवाही जारी रखें। साथ ही आदेश की प्रति बलिया के डीएम, चकबंदी अधिकारी और संबंधित बार पदाधिकारियों को भेजने को कहा गया।