प्रयागराज न्यूज डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) प्रयागराज में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न होने से कामकाज ठप होने पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से आग्रह किया है कि डीआरटी के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
गोरखपुर निवासी यदुनंदन पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा कि डीआरटी में लंबे समय से काम नहीं हो रहा और जरूरी मामलों की सुनवाई तक नहीं हो पा रही है। बताया गया कि 24 जून 2025 से डीआरटी जबलपुर का अतिरिक्त प्रभार भी समाप्त हो चुका है।
कोर्ट ने कहा कि इस वजह से याची जैसे पक्षकार न्याय पाने से वंचित रह गए हैं। मजबूरी में अब याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल हो रही हैं। याचिका सरफेसी एक्ट की धारा 14 के तहत पारित आदेश को चुनौती देने के संबंध में है, लेकिन डीआरटी में सुनवाई न होने की वजह से हाईकोर्ट की शरण ली गई है।
हालांकि कोर्ट ने इस केस में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि संबंधित संपत्ति पहले ही दिसंबर 2024 में बिक चुकी थी और मार्च 2025 में बिक्री प्रमाणपत्र भी जारी हो चुका है। कोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है।