प्रयागराज न्यूज डेस्क: सीरियल किलर राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर फिर से सुर्खियों में है। लखनऊ की अदालत ने उसे और उसके साले वक्षराज को रायबरेली के हरचंदपुर निवासी मनोज कुमार सिंह की हत्या में दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। राजा कोलंदर का नाम 14 नृशंस हत्याओं से जुड़ा है, जो अपनी बर्बरता के लिए कुख्यात था। उसकी गाथा ने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए हैं और उसे याद करते ही आज भी डर महसूस होता है।
राजा कोलंदर की सबसे चर्चित हत्या 14 दिसंबर 2000 को हुई थी, जब पत्रकार धीरेंद्र सिंह का शव उनके घर बसहरा के पास मिला था। धीरेंद्र की बेरहमी से हत्या कर उनके सिर और धड़ को अलग-अलग जगह फेंक दिया गया था। पुलिस की जांच में राजा कोलंदर का नाम सामने आया, जिसने अपनी डायरी में 14 हत्याओं का उल्लेख किया था। मोबाइल लोकेशन के आधार पर पकड़े जाने पर उसने 13 और हत्याओं को भी स्वीकार किया था, जिनमें उसके साले की भी भूमिका थी।
पुलिस ने उसके फॉर्म हाउस और घर से एक डायरी बरामद की थी, जिसमें उसने अपने 14 शिकारों के नाम दर्ज किए थे। इसमें कुछ लोगों की खोपड़ी और अन्य अंग भी मिले थे। सबसे क्रूर कांड काली प्रसाद की हत्या थी, जिसके दिमाग को उसने उबालकर सूप बना कर पिया था। कोलंदर खुद को राजा मानता था और उसने अपनी पत्नी को भी फूलन देवी का नाम दिया था, जो उस समय की कुख्यात डकैत नेता थी। जेल में भी उसकी चर्चा होती रही कि उसकी अदालत में दोषी को मौत ही सजा है।
हालांकि राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, लेकिन उसके परिवार वालों को इस बारे में जानकारी नहीं है। नैनी के राम सगरा में रहने वाले परिवार के सदस्य मीडिया से बातचीत से बचते दिखे। उसकी सास ननकई देवी ने मीडिया से बात करने के बाद नाराजगी जताई और अंदर चले गए। आसपास के लोग परिवार से दूरी बनाए हुए हैं और राजा कोलंदर की कहानी आज भी स्थानीय लोगों के लिए एक डरावना सच बनी हुई है।