प्रयागराज न्यूज डेस्क: 9 जुलाई की रात प्रयागराज जंक्शन पर जो हुआ, उसने हर किसी को हिला कर रख दिया। रात करीब साढ़े नौ बजे, ड्यूटी पर तैनात रेलकर्मी अमित कुमार पटेल पर अचानक लोहे के एंगल से हमला हुआ, और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हमला करने वाला कोई और नहीं, बल्कि गुजरात का रहने वाला रोहित मकवाना था – जो खुद कुछ ही मिनटों में ट्रेन की चपेट में आकर मारा गया। घटना इतनी अचानक और हिंसक थी कि स्टेशन पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।
पुलिस की जांच में सामने आया कि रोहित की मानसिक स्थिति पिछले कुछ महीनों से ठीक नहीं थी। वह अचानक गुस्सा हो जाता था और घर से बिना बताए चला जाता था। परिजनों के अनुसार, वह खेती और मजदूरी से जुड़ा आम ग्रामीण व्यक्ति था, जिसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। 6 जुलाई को घर से निकला और 9 जुलाई को प्रयागराज में इस दर्दनाक घटना का हिस्सा बन गया – यह सफर ही एक रहस्य है।
घटनास्थल से मिले मोबाइल फोन और रोहित के हाथ पर बने टैटू से उसकी पहचान हो सकी। परिजनों ने बताया कि उन्होंने उसे आखिरी बार मारवाड़ जाने की बात कहते हुए सुना था। लेकिन प्रयागराज से उसका कोई संबंध नहीं था। क्या वो वाकई मानसिक रूप से असंतुलित था या फिर इस हमले के पीछे कोई छुपा हुआ कारण था?
सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि रोहित ने एंगल पीठ पीछे छुपा रखा था और अमित पर ही हमला किया, जबकि आसपास कई लोग मौजूद थे। ऐसे में सवाल उठता है – क्या अमित ही निशाना था? या यह सब एक मानसिक अस्थिरता का नतीजा था?
पुलिस फिलहाल सभी पहलुओं की जांच कर रही है। अमित के परिवार से भी पूछताछ की गई, लेकिन रोहित का उनसे कोई संबंध सामने नहीं आया। इस हत्याकांड ने रेलवे और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। साथ ही यह घटना मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हमारी समाजिक समझ और तंत्र की सीमाओं को भी उजागर करती है।