प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा भारत के वैश्विक व्यापारिक रिश्तों के लिहाज से एक अहम पड़ाव साबित हो रही है। 20 वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को एक नई दिशा दी है। इस दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच हुए सहयोग को लेकर एनएसई के प्रबंध निदेशक और CEO आशीष चौहान ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है।
आशीष चौहान ने जताया आभार
एनएसई के प्रमुख आशीष चौहान ने अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“साइप्रस में व्यापारिक समुदाय के साथ बातचीत करने और गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) में NSE और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच हुए सहयोग की सराहना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत-बहुत आभार।”
उनका यह संदेश भारत के वैश्विक वित्तीय प्रणाली में गहराते प्रभाव और GIFT सिटी के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। NSE और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच यह सहयोग भारत की पूंजी बाजार की पहुंच को यूरोप और भूमध्यसागर के बाजारों तक विस्तारित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
साइप्रस में पीएम मोदी का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के आमंत्रण पर दो दिवसीय दौरे पर यह यात्रा की। यह यात्रा ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि दो दशक बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने साइप्रस का दौरा किया है। दौरे के दौरान पीएम मोदी ने व्यापार राउंडटेबल सम्मेलन में भाग लिया, जहां साइप्रस के व्यापारिक समुदाय के साथ भारत-साइप्रस के व्यापारिक भविष्य पर चर्चा की गई।
इस बैठक में पीएम मोदी ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) को एक ग्लोबल फाइनेंशियल हब के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसकी विशेषताओं और संभावनाओं को साझा किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि GIFT सिटी दुनिया के प्रमुख वित्तीय केंद्रों की तर्ज पर तैयार की जा रही है और इसमें NSE की बड़ी भूमिका है।
भारत-साइप्रस-ग्रीस व्यापार परिषद का गठन
सम्मेलन में एक और अहम घोषणा हुई, जिसमें भारत-साइप्रस-ग्रीस त्रिपक्षीय व्यापार और निवेश परिषद के गठन की बात की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह परिषद न केवल तीनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि निवेश और तकनीकी सहयोग के लिए भी एक ठोस मंच प्रदान करेगी। उन्होंने इसे भविष्य के आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया।
साइप्रस के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते
साइप्रस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है। कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों पर साइप्रस ने हमेशा भारत के रुख का समर्थन किया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि साइप्रस 1 जनवरी 2026 से यूरोपीय संघ की परिषद का अध्यक्ष बनेगा, जो भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, तकनीकी सहयोग, और वैश्विक मंचों पर समर्थन जैसी कई संभावनाओं को गति मिल रही है।
भारतीय समुदाय से मिलन
साइप्रस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को भारतीय समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया। एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय मौजूद थे जिन्होंने प्रधानमंत्री को गुलदस्ते भेंट किए और भारत माता की जय के नारे लगाए। पीएम मोदी ने इस स्वागत का ज़िक्र करते हुए अपने X हैंडल पर लिखा कि वह साइप्रस में मिले अपार स्नेह के लिए भारतीय समुदाय के आभारी हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि भारत के वैश्विक आर्थिक प्रभाव को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ठोस कदम है। NSE और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के सहयोग से भारतीय पूंजी बाजार को यूरोपीय नेटवर्क से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। साथ ही GIFT सिटी को वैश्विक वित्तीय केंद्र बनाने की दिशा में भी यह यात्रा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है।