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गोल्ड बॉन्ड ने निवेशकों को किया मालामाल, मैच्योरिटी पर दिया 380% का शानदार रिटर्न

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Posted On:Monday, December 29, 2025

यह खबर उन सभी निवेशकों के लिए एक मिसाल है जो सुरक्षित और भारी मुनाफे वाले निवेश की तलाश में रहते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2017-18 सीरीज XIII की मैच्योरिटी ने यह साबित कर दिया है कि धैर्य और सही एसेट क्लास का चुनाव कैसे आपकी संपत्ति को कई गुना बढ़ा सकता है।

SGB: निवेश की दुनिया का 'मल्टीबैगर'

जब दिसंबर 2017 में इस सीरीज को लॉन्च किया गया था, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मात्र 8 वर्षों में यह 380% का एब्सोल्यूट रिटर्न देगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय किया गया 13,563 रुपये का रिडम्पशन प्राइस निवेशकों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं है।

गणित जो आपको हैरान कर देगा

इस मुनाफे को समझने के लिए आइए आंकड़ों पर नजर डालते हैं:

  • इश्यू प्राइस (दिसंबर 2017): ₹2,816 (ऑनलाइन डिस्काउंट के साथ)

  • रिडम्पशन प्राइस (दिसंबर 2025): ₹13,563

  • शुद्ध मुनाफा (प्रति ग्राम): ₹10,747

  • प्रतिशत रिटर्न: लगभग 380%

अगर किसी निवेशक ने 2017 में इसमें 1 लाख रुपये लगाए होते, तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 4.80 लाख रुपये हो गई होती। यह रिटर्न शेयर बाजार के कई दिग्गज शेयरों से भी बेहतर है।

ब्याज का 'डबल धमाका'

SGB की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें निवेशक को केवल सोने की बढ़ती कीमतों का ही फायदा नहीं मिलता, बल्कि निवेश की गई मूल राशि पर 2.5% का वार्षिक ब्याज भी मिलता है। यह ब्याज हर छह महीने में सीधे निवेशक के बैंक खाते में जमा किया जाता है।

  • पूंजी की सुरक्षा: सरकारी गारंटी होने के कारण जोखिम शून्य है।

  • टैक्स बेनिफिट: मैच्योरिटी तक बॉन्ड रखने पर मिलने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है, जो इसे फिजिकल गोल्ड या गोल्ड ETF से कहीं अधिक आकर्षक बनाता है।

फिजिकल गोल्ड के मुकाबले क्यों बेहतर है SGB?

अक्सर भारतीय परिवारों में सोना भौतिक रूप (गहने या सिक्के) में खरीदने की परंपरा रही है, लेकिन SGB ने इस धारणा को बदला है:

  1. मेकिंग चार्ज की बचत: फिजिकल गोल्ड खरीदते समय 10-20% तक मेकिंग चार्ज देना पड़ता है, जबकि SGB में ऐसा कुछ नहीं है।

  2. शुद्धता की टेंशन नहीं: यहाँ 999 शुद्धता वाले सोने की गारंटी सरकार देती है।

  3. सुरक्षा: चोरी होने या लॉकर रेंट देने का कोई झंझट नहीं होता।

  4. लिक्विडिटी: हालांकि इसकी मैच्योरिटी 8 साल है, लेकिन निवेशक 5 साल बाद भी बाहर निकल सकते हैं या स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच सकते हैं।

SGB 2017-18 सीरीज का प्रदर्शन यह स्पष्ट करता है कि सोना केवल संकट का साथी नहीं, बल्कि धन सृजन (Wealth Creation) का एक सशक्त माध्यम भी है। जो निवेशक लंबी अवधि के लिए सुरक्षित और कर-मुक्त (Tax-free) रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आज भी सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और मुद्रास्फीति को देखते हुए सोने की कीमतों में आगे भी तेजी बनी रह सकती है, इसलिए पोर्टफोलियो का कम से कम 10-15% हिस्सा SGB में होना समझदारी है।


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