मुंबई, 11 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गुजरात के वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर बना 45 साल पुराना पुल 9 जुलाई की सुबह उस समय ढह गया जब उस पर से ट्रैफिक गुजर रहा था। इस हादसे में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक व्यक्ति की तलाश में NDRF और SDRF की टीमें जुटी हैं। शुक्रवार को अस्पताल में एक घायल की मौत होने के बाद मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ। हादसे के समय दो ट्रक, दो कार और एक रिक्शा पुल से नदी में गिर गए थे, जबकि एक टैंकर पुल के टूटे सिरे पर फंसा रह गया। वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया कि नदी में गिरे एक टैंकर में सल्फ्यूरिक एसिड था, इसलिए यह जांच की जा रही है कि कहीं उसमें से कोई रिसाव तो नहीं हुआ है। वहीं नदी के पानी में सोडा ऐश होने के कारण बचाव कार्य में लगे लोगों को जलन और खुजली की शिकायत हो रही है। इस हादसे में एक ही परिवार के तीन लोगों की भी जान चली गई है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे के बाद कार्रवाई करते हुए राज्य के सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि पुल की नींव और जोड़ कमजोर हो चुके थे, जिससे हादसा हुआ। सरकार ने जांच समिति गठित की है जो 30 दिनों में पूरी रिपोर्ट सौंपेगी।
यह ब्रिज 1981-82 में उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम द्वारा बनाया गया था। 2015 में भी इसकी हालत खराब पाई गई थी, जिसके बाद इसकी बेयरिंग बदली गई थी। तब भी निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आई थी। पुल भरूच, सूरत, नवसारी, तापी और वलसाड को सौराष्ट्र से जोड़ता था। इसके ढहने के बाद अब इन क्षेत्रों से सौराष्ट्र पहुंचने के लिए अहमदाबाद होकर जाना पड़ेगा। हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू अभियान शुरू किया। उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कई बार पुल की मरम्मत के लिए शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि हादसा पूरी तरह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि शुरूआती राहत और बचाव कार्य में उन्हें प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, सब कुछ उन्होंने खुद संभाला।