प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, खासकर संगम क्षेत्र और आसपास के इलाकों में। पिछले 24 घंटों में दोनों नदियों के जलस्तर में लगभग आधे मीटर की वृद्धि देखी गई है, जिससे प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं।
शुक्रवार सुबह तक गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 79.20 मीटर और छतनाग में 78.16 मीटर रहा, वहीं यमुना का जलस्तर नैनी में 78.69 मीटर दर्ज किया गया। मंगलवार को यमुना में 1.10 मीटर की रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई, जो पिछले कुछ वर्षों में असामान्य थी। हालांकि, दोनों नदियों का जलस्तर अभी खतरे के निशान से 5 मीटर नीचे है, लेकिन यह बढ़ोतरी चिंता का विषय बनी हुई है। पिछले एक सप्ताह में जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, और रविवार को गंगा और यमुना का जलस्तर पहले से काफी बढ़ चुका था।
जलस्तर बढ़ने के कारण संगम क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। वीआईपी घाट, दशाश्वमेध घाट, सेल्फी प्वाइंट जैसे प्रमुख घाट पानी में डूब चुके हैं। महाकुंभ 2025 के लिए बनाए गए स्नान घाट भी पानी में समा गए हैं। यमुना का पानी अरैल के घाट तक पहुंच चुका है, जिससे कांवड़ियों के लिए भी सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है। जल पुलिस कांवड़ियों को बैरिकेडिंग के अंदर स्नान करने की सलाह दे रही है ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
प्रयागराज शहर तीन तरफ से गंगा और यमुना नदियों से घिरा हुआ है, और गंगा का बढ़ता जलस्तर यमुना के प्रवाह को रोकता है, जिससे दोनों नदियों का पानी उल्टी दिशा में फैलने लगता है। इससे शहर के दर्जनों मोहल्लों और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है, और कछार क्षेत्र भी पानी की चपेट में आने लगा है। बढ़ते जलस्तर के कारण संगम क्षेत्र के छोटे दुकानदार और कर्मकांडी तीर्थ पुरोहित अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए पलायन कर रहे हैं।