भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश के बैंकिंग सिस्टम में तरलता (Liquidity) को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. सेंट्रल बैंक ने गुरुवार को ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities - G-Secs) की खरीद शुरू की है. पहले चरण में, RBI ने ₹50,000 करोड़ मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदी हैं.
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पहले ही संकेत दिया था कि सेंट्रल बैंक दिसंबर महीने में कुल ₹1 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद करेगा. यह पूरी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी, जिसमें पहला चरण 50,000 करोड़ रुपये का हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 18 दिसंबर को होगा, जिसमें इतनी ही राशि की प्रतिभूतियां और खरीदी जाएंगी.
OMO का उद्देश्य: बैंकिंग सिस्टम को मज़बूत करना
RBI का यह कदम बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त नकदी (Cash Flow) उपलब्ध कराने के और क्रेडिट ग्रोथ (Credit Growth) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है.
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नकदी की उपलब्धता: जब RBI सरकारी प्रतिभूतियां खरीदता है, तो वह बैंकों को नकदी देता है. इससे बैंकों के पास अधिक पैसा उपलब्ध होता है.
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लोन देने की क्षमता: बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी होने से उनकी लोन देने की क्षमता बढ़ती है. इससे ग्राहकों को होम लोन, ऑटो लोन और बिज़नेस लोन आसानी से और संभावित रूप से सस्ती दरों पर मिल सकते हैं, जो आर्थिक गतिविधियों को गति देता है.
खरीदी गई प्रतिभूतियों का विवरण
RBI ने ये प्रतिभूतियां 4 साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग परिपक्वता (Maturity) अवधि वाली खरीदी हैं. नीचे प्रमुख खरीदी गई सिक्योरिटीज और उनके खरीद दरें दी गई हैं:
| परिपक्वता वर्ष (Maturity Year) |
खरीदी गई राशि (₹ करोड़) |
खरीद दर (Purchase Yield) |
| 2029 |
6,638 |
$6.75\%$ |
| 2031 |
15,316 |
$7.02\%$ |
| 2032 |
21,189 |
$7.26\%$ |
| 2036 |
3,942 |
$7.54\%$ |
| 2050 |
1,225 |
$6.67\%$ |
ये खरीद दरें बाजार की वर्तमान ब्याज दरों को दर्शाती हैं, जिन पर RBI ने ये सिक्योरिटीज खरीदी हैं।
रेपो रेट में कटौती: एक पूरक नीति
भारतीय रिज़र्व बैंक न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर की तरलता पर ध्यान देता है, बल्कि अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए भी लगातार मौद्रिक नीति में बदलाव करता रहता है.
इसी के तहत, RBI ने इस साल चौथी बार रेपो रेट (Repo Rate) में $0.25\%$ की कमी की है, जिससे यह घटकर $5.25\%$ पर पहुंच गया है. कुल मिलाकर, वर्ष की शुरुआत से अब तक रेपो रेट में $1.25\%$ की कटौती हो चुकी है.
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक RBI से उधार लेते हैं. इसमें कमी आने से:
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बैंकों को कम लागत पर फंड मिलता है.
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बैंक इस लाभ को ग्राहकों को सस्ती ईएमआई (जैसे होम लोन और ऑटो लोन) के रूप में देते हैं.