भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को एक शक्तिशाली और निर्णायक ग्रह माना गया है। यह ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, क्रोध, वीरता, संपत्ति, भूमि, वाहन, खून और बड़े भाई जैसे क्षेत्रों का स्वामी होता है। जब मंगल किसी कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है। मंगल दोष के कारण जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख-शांति से जुड़ी हुई।
मंगल दोष क्या है?
मंगल दोष तब बनता है जब मंगल ग्रह जन्म कुंडली में 6वें, 8वें या 12वें भाव में स्थित हो, या जब यह नीच राशि कर्क में हो जाए। इसके अलावा, यदि मंगल पर शनि, राहु, केतु जैसे अशुभ ग्रहों की दृष्टि या युति हो, तो यह ग्रह अत्यधिक पीड़ित हो जाता है और जातक को अशुभ फल देने लगता है।
मंगल दोष जीवन में गंभीर तनाव, मानसिक अशांति, वैवाहिक असंतोष, दुर्घटनाएं और रक्त विकारों को जन्म देता है। इसलिए इसे खतरनाक माना जाता है।
मांगलिक दोष क्या होता है?
मांगलिक दोष, मंगल दोष का ही एक विशेष और महत्वपूर्ण प्रकार है। यह तब बनता है जब मंगल लग्न, चतुर्थ (4वें), सप्तम (7वें), अष्टम (8वें) या द्वादश (12वें) भाव में होता है। ऐसे जातक को मांगलिक कहा जाता है।
मांगलिक दोष से विवाह में रुकावट, विवाह के बाद झगड़े, तलाक जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। विशेष रूप से सप्तम भाव में मंगल वैवाहिक जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
मंगल दोष के प्रमुख लक्षण
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मंगल दोष से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित समस्याएं प्रकट होती हैं:
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विवाह में देरी या विवाहेतर समस्याएं
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संतान उत्पत्ति में कठिनाई
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कोर्ट-कचहरी या पुलिस के मामलों में फंसना
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अत्यधिक गुस्सा, चिड़चिड़ापन और असहिष्णु स्वभाव
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त्वचा रोग, रक्तचाप और खून से संबंधित बीमारियां
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अक्सर दुर्घटनाओं का शिकार होना
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मांसाहार, मद्यपान की प्रवृत्ति में वृद्धि
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शत्रु पक्ष का हावी होना
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पारिवारिक कलह और आर्थिक अस्थिरता
मंगल दोष क्यों होता है?
जन्म के समय ग्रहों की विशेष स्थितियां ही कुंडली में मंगल दोष का कारण बनती हैं। विशेषतः:
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मंगल का दुश्मन ग्रहों के साथ युति या दृष्टि में आना
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नीच राशि में स्थित होना (जैसे कर्क राशि में)
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अशुभ भावों में आकर अपना प्रभाव खो देना
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ग्रहों के गोचर का कुंडली के शुभ योगों को बिगाड़ देना
मंगल दोष के शांति के उपाय
अगर किसी की कुंडली में मंगल दोष है, तो निम्नलिखित उपाय अपनाकर इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है:
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मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करें, सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान चालीसा पढ़ें।
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मंगलवार को लाल रंग की वस्तुएं दान करें – जैसे लाल कपड़ा, लाल मसूर की दाल, गुड़ आदि।
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बड़े भाई या पिता का आदर करें और उनका आशीर्वाद लें।
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लाल मूंगा (Red Coral) रत्न अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेकर धारण करें।
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मंगल ग्रह की शांति हेतु 'अंगारक स्तोत्र' का पाठ करें।
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मंगल यंत्र को शुद्ध करके पूजा स्थान पर स्थापित करें।
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मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
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जंगल में या सुनसान इलाके में लाल झंडा फहराएं, यह उपाय मंगल की ऊर्जा को संतुलित करता है।
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नियमित रूप से सौंफ का सेवन करें, इससे मन शांत रहता है।
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गुस्से पर नियंत्रण रखें, योग और ध्यान करें।
निष्कर्ष
मंगल दोष कोई काल्पनिक या डराने वाला दोष नहीं है, बल्कि यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति का सूचक है। यदि इसका प्रभाव जीवन में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हो, तो ज्योतिषीय उपायों, पूजा-पाठ और सकारात्मक जीवनशैली से इसके दुष्प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। ज्योतिष का उद्देश्य डराना नहीं, बल्कि समाधान देना है। मंगल दोष को समय रहते पहचानकर उचित दिशा में कार्य करने से जीवन में सुख, शांति और संतुलन फिर से लौट सकता है।