पिछले कुछ दिनों में भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जो लोगों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। भारत में विशेषकर गुजरात के कच्छ क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हल्की से मध्यम तीव्रता के भूकंप आए हैं। वहीं, विश्व के अन्य हिस्सों में अलास्का और तजाकिस्तान जैसे भूकंप प्रवण क्षेत्रों में भी तेज़ कम्पन दर्ज किए गए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इन भूकंप की घटनाओं के बारे में।
गुजरात-कच्छ में 4.0 तीव्रता का भूकंप
21 जुलाई की रात को गुजरात के कच्छ जिले में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया। यह झटका लगभग रात 9 बजे के बाद महसूस किया गया। इस झटके की तीव्रता को मध्यम श्रेणी का माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद इससे किसी जानमाल के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है। हालांकि, कच्छ में लगातार भूकंप की घटनाओं ने स्थानीय लोगों को भयभीत कर दिया है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है और भूकंप की संभावित बादी के लिए तैयार रहने को कहा है।
कच्छ एक भूकंप संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहाँ पहले भी कई बार भूकंप आ चुके हैं, जिनमें से कुछ बड़े थे और जन-धन को नुकसान पहुंचाया था। इस क्षेत्र में अब तक 2001 का भूकंप सबसे विनाशकारी रहा, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी। इसलिए भूकंप की किसी भी हल्की कम्पन को लेकर स्थानीय प्रशासन अलर्ट रहता है।
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हल्की कम्पन
गुजरात से पहले जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी 2.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। यह भूकंप अपेक्षाकृत हल्का था, लेकिन हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के संभावित खतरों के कारण इसे भी गंभीरता से लिया जाता है। किश्तवाड़ इलाका भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में आता है, इसलिए यहां आने वाले भूकंप क्षेत्रीय भूकंपीय गतिविधि के संकेत होते हैं।
अलास्का में 6.2 तीव्रता का भूकंप
भारतीय सीमाओं के बाहर भी 21 जुलाई को भूकंप की गतिविधियां तेज़ हुईं। अलास्का में सुबह 3 बजकर 58 मिनट पर 6.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। यह भूकंप 48 किलोमीटर की गहराई पर आया था। अलास्का को विश्व के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में गिना जाता है क्योंकि यह प्रशांत प्लेट के किनारे स्थित है, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल आम बात है।
इससे चार दिन पहले भी अलास्का में 7.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जो काफी तेज था और उस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हड़कंप मचाया था। अलास्का के ये भूकंप स्थानीय जनजीवन को प्रभावित करते हैं, साथ ही वैश्विक वैज्ञानिकों के लिए भी यह अध्ययन का विषय होते हैं।
तजाकिस्तान में 4.6 तीव्रता का भूकंप
तजाकिस्तान में भी 21 जुलाई की तड़के 4 बजकर 43 मिनट पर 4.6 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। यह क्षेत्र भी भूगर्भीय दृष्टि से सक्रिय है। पिछले दिनों इसी क्षेत्र में 4.0 तीव्रता वाला भूकंप भी दर्ज हुआ था, जो वहां की भूवैज्ञानिक हलचल को दर्शाता है।
तजाकिस्तान का भूकंपीय क्षेत्र तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से जुड़ा हुआ है, जहां लगातार भू-टेक्टोनिक गतिविधियां चलती रहती हैं। इस क्षेत्र में आए हल्के और मध्यम तीव्रता के भूकंप स्थानीय लोगों को तो चिंतित करते ही हैं, साथ ही भूगर्भीय संरचना की समझ के लिए भी अहम हैं।
क्या कहती हैं विशेषज्ञ रिपोर्टें?
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी सहित कई वैज्ञानिक संस्थान इन भूकंप घटनाओं की निगरानी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन भूकंपों का आपस में कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन यह दिखाता है कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार गतिशील हैं।
गुजरात-कच्छ क्षेत्र एक प्रमुख भूकंप संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि यह इंडो-ऑसियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव क्षेत्र के करीब है। इसी कारण यहां भूकंप की गतिविधियां होती रहती हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि भूकंप संभावित क्षेत्रों में नियमित सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए और आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
जनता के लिए सुझाव
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सतर्कता बनाए रखें: जब भी हल्की कम्पन महसूस हो, घबराएं नहीं लेकिन सतर्क रहें। सुरक्षित स्थानों की पहचान करें।
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आपातकालीन किट तैयार रखें: पानी, दवा, जरूरी दस्तावेज, टॉर्च और खाने-पीने का सामान हमेशा तैयार रखें।
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निर्देशों का पालन करें: स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन की सलाह पर तुरंत अमल करें।
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मजबूत भवनों में रहें: पुरानी और कमजोर इमारतों से दूर रहें, जहां खतरा ज्यादा होता है।
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प्रशिक्षण लें: भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी प्राप्त करें और नियमित रूप से ड्रिल में भाग लें।
निष्कर्ष
हाल के दिनों में भारत के गुजरात और जम्मू-कश्मीर में आये भूकंप के झटके और विश्व के सक्रिय क्षेत्रों जैसे अलास्का और तजाकिस्तान में आए भूकंप यह स्पष्ट करते हैं कि पृथ्वी की सतह पर टेक्टोनिक गतिविधियां लगातार जारी हैं। इस संदर्भ में भूकंप संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा, जागरूकता और तत्परता बेहद जरूरी है। सरकार, वैज्ञानिक और आम जनता को मिलकर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने होंगे ताकि जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।