पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे अस्थिर और हिंसक दौर से गुजर रहा है। अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से शुरू हुआ अशांति का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार आगजनी, लूटपाट और विशेष रूप से अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के खिलाफ बर्बरता की खबरें आ रही हैं। इसी कूटनीतिक तनाव के बीच, भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह को अचानक ढाका वापस बुला लिया गया है, जो दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ती खाई का संकेत है।
अचानक ढाका बुलाए गए उच्चायुक्त
राजनयिक गलियारों में 'अर्जेंट कॉल' का मतलब स्थिति की गंभीरता से होता है। सोमवार देर रात भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह को ढाका पहुंचने के निर्देश दिए गए।
-
कारण: आधिकारिक तौर पर इसे "द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा" बताया जा रहा है।
-
तनाव की पृष्ठभूमि: पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय मिशनों पर हमले की कोशिश और अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा ने नई दिल्ली को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। इससे पहले भारत सरकार ने हामिदुल्लाह को तलब कर भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा पर अपनी गंभीर चिंता भी जताई थी।
अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती बर्बरता
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा अब चरम पर पहुंच गई है। हालिया घटनाक्रमों ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है:
-
दीपू चंद्र दास की हत्या: हाल ही में छात्र नेता उस्मान शरीफ हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को 'ईशनिंदा' के झूठे आरोपों में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।
-
अमानवीय कृत्य: हिंसा यहीं नहीं रुकी; उग्र भीड़ ने दीपू के शव को पेड़ से बांधकर आग के हवाले कर दिया। इस तरह की घटनाओं ने भारत में आक्रोश पैदा किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
भारतीय मिशनों पर हमला और वीजा सेवाओं पर रोक
जैसे-जैसे बांग्लादेश के भीतर भारत विरोधी भावनाएं भड़काई जा रही हैं, भारतीय उच्चायोग और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है।
-
चिटगांव की घटना: 18 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों की एक हिंसक भीड़ ने चिटगांव में भारत के सहायक उच्चायोग पर हमला करने की कोशिश की।
-
भारत की प्रतिक्रिया: सुरक्षा स्थिति को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश में अपनी वीजा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है। यह कदम उन हजारों बांग्लादेशियों के लिए बड़ा झटका है जो इलाज, व्यापार या शिक्षा के लिए भारत पर निर्भर हैं।
कूटनीतिक भविष्य पर सवाल
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं चाहता, लेकिन अपने नागरिकों और वहां रह रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेगा। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती चरमपंथी तत्वों पर लगाम कसना है।
निष्कर्ष: उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह का ढाका लौटना इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली और ढाका के बीच बातचीत के रास्ते संकरे हो रहे हैं। यदि हिंसा पर तुरंत काबू नहीं पाया गया और अपराधियों को सजा नहीं मिली, तो दक्षिण एशिया की यह सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय साझेदारी लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में जा सकती है।