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बंगाल की खाड़ी में समुद्री मिसाइल टेस्ट की तैयारी, जानिए कितनी होगी रेंज?

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Posted On:Friday, December 19, 2025

भारत ने बंगाल की खाड़ी में अपनी सामरिक शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए कमर कस ली है। हाल ही में जारी NOTAM (Notice to Airmen) के अनुसार, 24 दिसंबर 2025 को ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप के पास एक महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण होने की संभावना है। इस नोटिस ने रक्षा गलियारों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है, क्योंकि इसकी घोषित रेंज 3,240 किलोमीटर बताई गई है।

चीनी जासूसी जहाजों का साया और भारत की सतर्कता

इस परीक्षण का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे पहले दिसंबर की शुरुआत में ही संपन्न होना था। रक्षा सूत्रों के अनुसार, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीनी रिसर्च वेसल्स (जासूसी जहाजों) की संदिग्ध मौजूदगी के कारण सुरक्षा के लिहाज से परीक्षण को स्थगित कर दिया गया था।

नवंबर और दिसंबर के शुरुआती हफ्तों में भी इसी तरह के कई टेस्ट टाले गए। माना जा रहा है कि चीन के ये जहाज भारत की सबमरीन आधारित मिसाइल क्षमताओं, विशेष रूप से K-4 SLBM (Submarine Launched Ballistic Missile) के डेटा को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे थे। भारत ने चीन के इन खुफिया अभियानों का कड़ा विरोध किया है और अब अतिरिक्त सतर्कता के साथ इस मिशन को आगे बढ़ाया जा रहा है।

परीक्षण की तकनीकी और सामरिक विशिष्टताएँ

24 दिसंबर को होने वाला यह परीक्षण मध्यम से लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली से जुड़ा हो सकता है। यद्यपि कुछ कयास 'ब्रह्मोस' के उन्नत संस्करणों को लेकर लगाए जा रहे हैं, लेकिन 3,240 किलोमीटर की विशाल रेंज किसी बड़ी बैलिस्टिक मिसाइल या रणनीतिक हथियार प्रणाली की ओर इशारा करती है।

  • समुद्री स्ट्राइक क्षमता: यह परीक्षण भारत की 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी के तहत अपनी 'सेकंड स्ट्राइक' क्षमता को मजबूत करने का एक हिस्सा है।

  • क्षेत्रीय तनाव: दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में बढ़ती अस्थिरता के बीच, भारत अपनी सीमाओं और समुद्री हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिरोधक क्षमता (Deterrence) को लगातार बढ़ा रहा है।

NOTAM का विवरण (24 दिसंबर 2025)

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र और रक्षा पोर्टल्स द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार:

  • समय: 14:00 IST से 18:00 IST तक।

  • क्षेत्र: बंगाल की खाड़ी, अब्दुल कलाम द्वीप के पास।

  • सीमा: सतह से असीमित (Surface to Unlimited)।

क्यों अहम है यह परीक्षण?

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि यह परीक्षण सफल रहता है, तो यह भारत की नौसैनिक मारक क्षमता में एक मील का पत्थर साबित होगा। 3,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज का मतलब है कि भारत समुद्र के भीतर से भी दूर स्थित लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम हो जाएगा।

साल 2025 के मध्य से ही भारत ने अपने मिसाइल ट्रायल्स की गति तेज कर दी है। यह न केवल 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत स्वदेशी तकनीक का प्रदर्शन है, बल्कि वैश्विक शक्तियों को यह संदेश भी है कि भारत अपनी संप्रभुता और सामरिक गोपनीयता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। चीनी जासूसी के खतरों के बीच यह टेस्ट भारत के रणनीतिक धैर्य और तकनीकी श्रेष्ठता की परीक्षा होगा।


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