सोशल मीडिया पर इन दिनों पुलिस बर्बरता का आरोप लगाते हुए एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस क्लिप में एक पुलिसकर्मी एक व्यक्ति के बाल पकड़कर उसे घूंसे मारता दिख रहा है, जबकि पास में एक अन्य पुलिसकर्मी भी खड़ा है। इस वीडियो को किसी पुलिस स्टेशन का बताकर लीक होने का दावा किया जा रहा है। वायरल पोस्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि पिटाई खाने वाला व्यक्ति एक महिला है। इस आधार पर, यूज़र्स देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार पर तीखे तंज कस रहे हैं, यहां तक कि कुछ लोग पुलिस की इस कथित 'क्रूरता' के लिए प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस वीडियो ने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आक्रोश और बहस का माहौल बना दिया है।
फ़ैक्ट चेक में खुली सच्चाई: मनोरंजक कंटेंट का हिस्सा
हालांकि, जब इस वायरल वीडियो की सत्यता की जांच की गई, तो पता चला कि यह क्लिप किसी वास्तविक घटना पर आधारित नहीं है। यह वीडियो वास्तव में मनोरंजन (entertainment) के लिए बनाया गया एक स्क्रिप्टेड फुटेज है, और इसमें दिखने वाले लोग अभिनेता हैं। सच्चाई का पता लगाने के लिए वीडियो को गूगल लेंस और अन्य सर्च टूल्स की मदद से खंगाला गया। सर्च में यह वीडियो "haunted_guru_ji_fan_page" नामक एक इंस्टाग्राम अकाउंट पर मिला। इस पेज से जुड़े दूसरे इंस्टाग्राम पेज "Haunted_guruji_1137" पर जाने पर स्पष्ट हुआ कि यह किसी कंटेंट क्रिएटर का पेज है जो स्क्रिप्टेड कंटेंट बनाता है।
यूट्यूब चैनल पर मिला लंबा वर्जन और डिस्क्लेमर
आगे की जांच में, इस कंटेंट क्रिएटर के एक यूट्यूब चैनल "Haunted Guru Ji" का लिंक मिला। इस यूट्यूब चैनल पर वायरल क्लिप का लंबा और मूल वर्जन 6 सितंबर को शेयर किया गया था। करीब 16 मिनट लंबे इस वीडियो का शीर्षक था: “AGHORI TANTRIK | अंतिम संस्कार से पहले शरीर को खाने आ गया | NABALIK KI NARBALI | पंगा पड़ गया भारी”। वायरल हो रहा पुलिस पिटाई वाला हिस्सा इस लंबे वीडियो में 7 मिनट 45 सेकंड के आस-पास देखा जा सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस यूट्यूब वीडियो के डिस्क्रिप्शन में एक स्पष्ट डिस्क्लेमर दिया गया है। इसमें साफ-साफ लिखा गया है कि यह वीडियो केवल मनोरंजन और पैरानॉर्मल एक्टिविटी के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से बनाया गया है।
स्क्रिप्टेड पुरुष पात्र, न कि कोई महिला
फैक्ट चेक में एक और महत्वपूर्ण भ्रम दूर हुआ। यह साबित हुआ कि वीडियो में पुलिसकर्मी जिस व्यक्ति के साथ मारपीट कर रहा है, वह एक पुरुष (man) है, न कि कोई महिला। सोशल मीडिया पर जानबूझकर या अनजाने में यह गलत दावा फैलाया गया कि पीड़ित एक महिला है, जिससे भावनात्मक आक्रोश भड़काया जा सके। इस कंटेंट क्रिएटर के चैनल पर नकली पुलिसकर्मियों को दिखाते हुए कई अन्य स्क्रिप्टेड वीडियो भी मौजूद हैं।
निष्कर्ष यह निकलता है कि एक स्क्रिप्टेड और मनगढ़ंत (fictional) वीडियो को वास्तविक पुलिस अत्याचार बताकर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया। यूज़र्स बिना तथ्य की पुष्टि किए, इसे आधार बनाकर सरकार और पुलिस प्रशासन पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे थे, जिससे जनता के बीच अनावश्यक रूप से भ्रम और तनाव पैदा हुआ। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी संवेदनशील फुटेज को आगे साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच अवश्य कर लें।