विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद से नियाग्रा में मुलाकात की। यह बैठक जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों को नई दिशा देने और सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। बैठक का उद्देश्य द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाना और वैश्विक मंच पर साझा हितों को मजबूत करना था। जयशंकर ने मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर साझा की। उन्होंने लिखा कि उन्होंने जी-7 बैठक की सफल मेजबानी के लिए अनीता आनंद को बधाई दी और रोडमैप 2025 के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की सराहना की। जयशंकर ने कहा, “हम अपनी द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करने की आशा करते हैं।
दूसरी ओर, अनीता आनंद ने भी एक्स पर अपने आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट कर बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और लोगों के बीच संबंधों को और सुदृढ़ करने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि भारत और कनाडा के बीच मजबूत संवाद दोनों देशों की प्रगति और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
जी-7 बैठक में भारत की सक्रिय भागीदारी
भारत को इस बार जी-7 सम्मेलन में एक विशेष साझेदार देश के रूप में आमंत्रित किया गया था। कनाडा की मेजबानी में आयोजित इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, सऊदी अरब, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन को भी बुलाया गया था। इस बैठक में समुद्री सुरक्षा, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) पर विशेष चर्चा की गई। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और ग्लोबल साउथ की आवाज को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बुलंद करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
भारत-कनाडा संबंधों में नई गति
यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब अनीता आनंद की भारत यात्रा को एक महीना ही बीता है। उस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए रोडमैप 2025 की घोषणा की थी। इस रोडमैप का उद्देश्य भारत और कनाडा के बीच रणनीतिक साझेदारी को दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग में बदलना है। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आने वाले समय में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश पर मंत्रिस्तरीय स्तर की चर्चा जल्द से जल्द शुरू की जाएगी। जयशंकर और आनंद ने यह भी माना कि वर्तमान वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों के मद्देनजर दोनों देशों का सहयोग बेहद जरूरी है।