मिडिल ईस्ट की भू-राजनीति में एक नया और खतरनाक मोड़ आ गया है। यमन के मुकल्ला बंदरगाह (Mukalla Port) पर सऊदी अरब द्वारा किए गए हवाई हमले ने न केवल युद्ध की आग को भड़का दिया है, बल्कि खाड़ी के दो सबसे करीबी सहयोगियों—सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)—को एक-दूसरे के सामने खड़ा कर दिया है। यह टकराव यमन के भविष्य के साथ-साथ पूरे अरब प्रायद्वीप की स्थिरता के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
मुकल्ला हमला: आरोपों की बमबारी
सऊदी अरब का दावा है कि उसने यह हमला एक बड़ी साजिश को रोकने के लिए किया। सऊदी खुफिया तंत्र के अनुसार, यूएई के फुजैरा पोर्ट से चले दो जहाजों ने अपना ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर मुकल्ला में हथियारों की अवैध खेप उतारी थी। सऊदी का आरोप है कि ये हथियार सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए थे, जो दक्षिण यमन को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए लड़ रहा है।
सऊदी अरब यमन की क्षेत्रीय अखंडता और वहां की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन करता है। उसका मानना है कि अलगाववादियों को हथियार देना यमन में शांति बहाली के प्रयासों को पटरी से उतारना है।
यूएई की प्रतिक्रिया: आरोपों पर कड़ा ऐतराज
अबू धाबी ने इन आरोपों को "निराशाजनक और चौंकाने वाला" बताया है। यूएई ने स्पष्ट किया कि उसने यमन में अपनी आतंकवाद विरोधी इकाइयों का मिशन स्वेच्छा से खत्म कर दिया है और वह केवल राजनीतिक समाधान का पक्षधर है। यूएई के अनुसार, बिना किसी सत्यापन के सैन्य कार्रवाई करना आपसी तालमेल और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए घातक है।
सैन्य शक्ति का संतुलन: कौन कितना ताकतवर?
सऊदी अरब और यूएई दोनों ही आधुनिक हथियारों और अपार संपदा से लैस हैं, लेकिन उनकी सैन्य रणनीति अलग-अलग है:
1. सऊदी अरब: विशाल संसाधन और वायु शक्ति
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रैंकिंग: ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 में 24वें स्थान पर।
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सक्रिय सैनिक: लगभग 2.57 लाख।
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ताकत: सऊदी के पास 917 सैन्य विमान और 840 टैंकों का विशाल बेड़ा है। इसकी वायु सेना दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक वायु सेनाओं में से एक मानी जाती है।
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रणनीति: सऊदी अरब अपनी विशाल सैन्य संख्या और भारी तोपखाने (Artillery) के दम पर किसी भी लंबे संघर्ष को झेलने की क्षमता रखता है।
2. यूएई: हाई-टेक और 'स्मार्ट' मिलिट्री
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रैंकिंग: मिलिट्री पावर रैंकिंग में 50वें स्थान पर।
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सक्रिय सैनिक: लगभग 65 हजार।
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ताकत: यूएई का फोकस संख्या पर नहीं, बल्कि 'क्वालिटी' पर है। इसके पास अमेरिका और फ्रांस से खरीदे गए आधुनिक फाइटर जेट्स और एडवांस ड्रोन टेक्नोलॉजी है।
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रणनीति: यूएई की सेना को 'लिटिल स्पार्टा' कहा जाता है क्योंकि यह तेजी से हमला करने (Rapid Deployment) और खुफिया ऑपरेशंस में माहिर है।
यमन पर असर: सहयोगियों के बीच बदलती केमिस्ट्री
यमन युद्ध की शुरुआत (2015) में ये दोनों देश एक ही गठबंधन का हिस्सा थे। लेकिन जैसे-जैसे युद्ध खिंचा, दोनों के हित अलग हो गए।
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सऊदी अरब चाहता है कि यमन एक इकाई बना रहे ताकि उसकी दक्षिणी सीमा सुरक्षित रहे।
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यूएई यमन के बंदरगाहों और समुद्री रास्तों (जैसे अदन की खाड़ी) पर अपना रणनीतिक प्रभाव चाहता है, जिसके लिए वह STC जैसे स्थानीय समूहों का समर्थन करता रहा है।
निष्कर्ष
मुकल्ला पर हुआ हमला यह संकेत दे रहा है कि सऊदी-यूएई के बीच का 'कोल्ड वॉर' अब गर्म होने लगा है। यदि इन दोनों ताकतों के बीच मतभेद और गहरे होते हैं, तो यमन में शांति की संभावनाएं धूमिल हो जाएंगी और मिडिल ईस्ट का नक्शा बदलने की संभावना भी पैदा हो सकती है। फिलहाल, पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर हैं कि क्या ये दोनों सहयोगी बातचीत से इस संकट को सुलझा पाएंगे या यमन का गृहयुद्ध एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले लेगा।