शेयर बाजार के गलियारों में चर्चा है कि क्या IPO का स्वर्ण युग समाप्त होने वाला है? लेकिन आंकड़े और बाजार का उत्साह कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। साल 2025 में जिस तरह से कंपनियों ने पूंजी बाजार से रिकॉर्डतोड़ फंड जुटाया, उसने 2026 के लिए एक ऐसा मजबूत आधार तैयार कर दिया है कि आने वाला साल निवेशकों के लिए 'महाकुंभ' साबित हो सकता है।
2025 का सफर: एक मजबूत नींव
साल 2025 भारतीय प्राइमरी मार्केट के लिए ऐतिहासिक रहा। इस साल 100 से अधिक कंपनियों ने दलाल स्ट्रीट पर कदम रखा और सामूहिक रूप से लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाए। यह आंकड़ा न केवल कंपनियों के विस्तार की भूख को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारतीय खुदरा और संस्थागत निवेशकों की लिक्विडिटी (तरलता) चरम पर है। इसी भरोसे के दम पर 2026 की पाइपलाइन और भी अधिक विशाल नजर आ रही है।
2026 की पाइपलाइन: 200 कंपनियों की कतार
बाजार विशेषज्ञों और नियामक आंकड़ों के अनुसार, 200 से अधिक कंपनियां 2026 में अपना आईपीओ लाने की योजना बना रही हैं।
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फंड जुटाने का लक्ष्य: उम्मीद जताई जा रही है कि ये कंपनियां मिलकर 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बाजार से जुटाएंगी।
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सेक्टर्स का दबदबा: इस बार केवल पारंपरिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां ही नहीं, बल्कि फिनटेक, ई-कॉमर्स और डीप-टेक स्टार्टअप्स भी बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। कई यूनिकॉर्न्स जो लंबे समय से मुनाफे की राह देख रहे थे, अब सही वैल्यूएशन के साथ बाजार में उतरने को तैयार हैं।
निवेशकों का बदलता मिजाज: भीड़ से समझदारी की ओर
2026 में एक बड़ा बदलाव निवेशकों के व्यवहार में देखने को मिल सकता है। 2025 के अंत तक यह रुझान दिखने लगा था कि अब निवेशक 'अंधाधुंध' पैसा नहीं लगा रहे हैं।
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सतर्क रिटेल निवेशक: पहले जहाँ हर आईपीओ 50-100 गुना सब्सक्राइब होता था, अब निवेशक वैल्यूएशन (Valuation) और बिजनेस मॉडल पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
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क्वालिटी पर जोर: रिटेल भागीदारी में हल्की गिरावट का मतलब यह नहीं है कि उत्साह कम हुआ है, बल्कि इसका मतलब है कि निवेशक अब 'लिस्टिंग गेन' के बजाय लंबी अवधि की स्थिरता खोज रहे हैं।
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संस्थागत भरोसा: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और घरेलू म्यूचुअल फंड्स अभी भी भारतीय आईपीओ बाजार को उभरते बाजारों में सबसे आकर्षक मान रहे हैं।
2026 में कमाई के मंत्र
यदि आप 2026 में आईपीओ के जरिए अपनी संपत्ति बढ़ाना चाहते हैं, तो इन तीन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होगा:
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वैल्यूएशन चेक: क्या कंपनी अपने भविष्य के मुनाफे के मुकाबले सही दाम पर शेयर दे रही है?
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ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पर निर्भरता कम करें: केवल जीएमपी देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। कंपनी के रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को पढ़ना जरूरी है।
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सेक्टर की समझ: रिन्यूएबल एनर्जी, ईवी (EV) इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी कंपनियों के आईपीओ पर विशेष नजर रखें।
निष्कर्ष: अवसरों का साल
कुल मिलाकर, 2026 आईपीओ बाजार के लिए 'जोश' ठंडा होने का नहीं, बल्कि 'परिपक्व' होने का साल होगा। कंपनियों के पास विस्तार के लिए फंड जुटाने का यह सुनहरा मौका है, और निवेशकों के लिए अच्छी कंपनियों के शुरुआती हिस्सेदार बनने का। यदि बाजार की स्थिरता बनी रहती है, तो 2026 निवेश के नजरिए से एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।