प्रयागराज न्यूज डेस्क: जनपद की बड़ी परियोजनाओं की रफ्तार लक्ष्य के मुताबिक नहीं चल रही है। रिंग रोड के पहले फेज की समय सीमा खत्म हो चुकी है, लेकिन अभी भी लगभग 40 प्रतिशत काम बाकी है। यह फेज महाकुंभ से पहले पूरा होना था, मगर अब इसे पूरा होने में एक साल और लगेगा। इस देरी की वजह से पहले ही चरण में करीब दो साल का अतिरिक्त समय लग रहा है और अब लागत बढ़ाने का प्रस्ताव भी बनने लगा है। खास बात यह है कि एनएचएआई के अधिकारी देरी की ठोस वजह भी नहीं बता पा रहे हैं।
इनर रिंग रोड कुल 65 किमी लंबी है और इसे तीन फेज में बांटा गया है। पहले फेज में 31.4 किमी सड़क बनाई जानी है, जिसमें से अब तक 15 किमी का काम पूरा हो चुका है। बाकी 16.4 किमी पर काम जारी है। यह चरण लवायन कला से शुरू होकर सहसों बाईपास के पास एनएच-2 से जुड़ता है। इस हिस्से में 45 गांवों से होकर 29.466 किमी सड़क बनाई जा रही है। पहले चरण पर लगभग 3100 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
फूलपुर की ओर 10.50 किमी में सड़क, छह अंडरपास, एक फ्लाईओवर और गंगा पर एक बड़ा पुल बन रहा है, जो नैनी और झूंसी को जोड़ेगा। इस हिस्से का 60 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। यह पुल बन जाने से नए यमुना पुल और शास्त्री पुल पर दबाव कम होगा। दूसरी ओर करछना क्षेत्र में 12.50 किमी सड़क और एक अंडरपास का निर्माण चल रहा है, जिसमें 65 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। पहले फेज के लिए करछना और फूलपुर में कुल 194.57 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। डीएम मनीष कुमार वर्मा के अनुसार, वर्ष 2026 तक प्रथम चरण पूरा कर लिया जाएगा।
रिंग रोड बनने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि रीवा, चित्रकूट और बांदा की ओर से आने वाले भारी वाहन शहर में प्रवेश नहीं करेंगे। अभी वाराणसी की ओर जाने वाला ट्रैफिक नए यमुना पुल से शास्त्री पुल तक जाम लगाता है, लेकिन रिंग रोड तैयार होने पर ऐसे वाहन शहर के बाहर से ही निकल जाएंगे। पूरा प्रोजेक्ट 7261 करोड़ रुपये का है और अगले फेज में रीवा रोड से कौड़िहार तक रिंग रोड बनेगी, जिसके लिए यमुना और गंगा पर अलग पुल बनाए जाएंगे। इसके बाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आने वाले वाहन सीधे कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर की दिशा में बिना शहर में उतरे निकल जाएंगे।