ताजा खबर

सोलह श्रृंगार: केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि समृद्धि, प्रेम और सुरक्षा का दिव्य आशीर्वाद

Photo Source :

Posted On:Tuesday, December 2, 2025

मुंबई, 2 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारतीय परंपरा में सोलह श्रृंगार (Solah Shringaar) एक प्राचीन और पवित्र प्रथा है, जिसका उल्लेख शास्त्रीय हिंदू ग्रंथों, मंदिर कला और काव्य में मिलता है। यह केवल सौंदर्य प्रसाधनों का संग्रह नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक है। 'सोलह श्रृंगार' का शाब्दिक अर्थ 16 आभूषण है, और हर एक तत्व समृद्धि, उर्वरता, प्रेम, सुरक्षा और खुशी जैसे दिव्य आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। यह अनुष्ठान एक महिला के लिए, विशेष रूप से उसके विवाह के दिन, पूर्ण रूप से सजना और आध्यात्मिक रूप से उन्नत होना दर्शाता है।

प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी भारतीय घरों में, विशेषकर दुल्हन के विवाह के दिन निभाई जाती है। सोलह श्रृंगार दुल्हन के एक नए जीवन में संक्रमण और वैवाहिक यात्रा शुरू करने की उसकी तैयारी का प्रतीक है। इस अनुष्ठान के पीछे यह दार्शनिक विचार निहित है कि एक महिला शक्ति यानी दिव्य स्त्री शक्ति का प्रतीक होती है। शरीर को इन पवित्र आभूषणों से सजाने से आंतरिक दिव्यता जागृत होती है। प्रत्येक श्रृंगार तत्व शरीर के एक विशिष्ट अंग से मेल खाता है और एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ रखता है, यह दर्शाता है कि सच्चा सौंदर्य तभी प्राप्त होता है जब शरीर, मन और आत्मा एक सीध में आते हैं।

इन सोलह तत्वों में हर एक का अपना विशेष महत्व है। उदाहरण के लिए, माँग में लगाया जाने वाला सिंदूर (Sindoor) विवाहित स्थिति और पति की लंबी उम्र का प्रतीक माना जाता है। माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी (Bindi) एकाग्रता को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने के लिए होती है, जबकि आँखों में लगाया गया काजल (Kajal) सुंदरता के साथ-साथ बुरी नज़र से बचाव का काम करता है। गले में पहना जाने वाला मंगलसूत्र (Mangalsutra) विवाह और पति-पत्नी के बीच अटूट एकता का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है।

अन्य आभूषण भी विशेष मायने रखते हैं। चूड़ियाँ (Bangles) समृद्धि और खुशी का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि विवाहित महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली बिछिया (Toe Rings) प्रेम और वैवाहिक आशीर्वाद का प्रतीक है। पैरों में पहनी जाने वाली पायल (Anklets) की झंकार सकारात्मक ऊर्जा लाती है, ऐसी मान्यता है। बालों को सुशोभित करने वाला गजरा (Gajra) पवित्रता और सुगंध का प्रतीक होता है। इन सभी आभूषणों के बाद, इत्र (Fragrance) का अंतिम स्पर्श संवेदनशीलता और ताजगी जोड़ता है। इस तरह, सोलह श्रृंगार आधुनिक सौंदर्य मानकों से परे जाकर भारतीय परंपरा में पहचान, अनुष्ठान और दिव्य कृपा को जोड़ता है।


प्रयागराज और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. prayagrajvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.