मुंबई, 22 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया। इस बात की जानकारी राज्यसभा में पीठासीन अधिकारी घनश्याम तिवाड़ी ने दी। इसी दिन राज्यसभा के उपसभापति और जेडीयू सांसद हरिवंश ने राष्ट्रपति भवन जाकर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। हरिवंश ने ही आज सुबह 11 बजे जगदीप धनखड़ की अनुपस्थिति में राज्यसभा की कार्यवाही शुरू की। धनखड़ आज सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए और यह भी जानकारी सामने आई कि वे अपने विदाई समारोह में भी उपस्थित नहीं होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है।
जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात को अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। 74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर ईश्वर की कृपा रही तो वे अगस्त 2027 में रिटायर होंगे। उनके अचानक लिए गए इस फैसले को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। राष्ट्रपति को भेजे गए त्यागपत्र में धनखड़ ने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया, वहीं विपक्ष इसे लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी, जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। चर्चा के बाद शाम 4:30 बजे फिर बैठक तय हुई थी। लेकिन शाम की बैठक में नड्डा और रिजिजू उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने इस बारे में धनखड़ को सूचित भी नहीं किया, जिससे वे आहत हुए। उन्होंने अगली बैठक को अगले दिन दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
जयराम रमेश का दावा है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ ऐसा हुआ जिसने इस्तीफे का कारण बना। उनका कहना है कि जिस तरह से यह इस्तीफा दिया गया है, वह केवल स्वास्थ्य वजहों से नहीं हो सकता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस्तीफा उन लोगों की नीयत पर सवाल खड़ा करता है, जिन्होंने धनखड़ को इस पद तक पहुंचाया था। कांग्रेस की सांसद जेबी माथेर ने भी इसे चौंकाने वाला करार दिया और कहा कि उपराष्ट्रपति ने उसी दिन सुबह राज्यसभा की अध्यक्षता की थी, जिससे यह पूरी घटना अप्रत्याशित लगती है। कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि जो भी हो रहा है वह देश के हित में नहीं है और इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य नहीं लगती। उनका यह भी कहना है कि भाजपा के कुछ शीर्ष नेता उपराष्ट्रपति पद की गरिमा के अनुरूप व्यवहार नहीं कर रहे थे और यह मतभेद का कारण बना हो सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि धनखड़ सरकार के दबाव में आने से इनकार करते रहे हैं। वहीं कांग्रेस के ही सुखदेव भगत ने कहा कि राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता, इसकी पटकथा पहले से ही लिखी जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव नजदीक हैं और यह भी एक संभावित कारण हो सकता है। उनका यह भी कहना था कि सरकार में कई अप्रत्याशित फैसले प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की इच्छा से लिए जाते हैं।