भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभालने के बाद, जस्टिस सूर्यकांत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्यायिक अनुशासन और नियमों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने पूर्व CJI बी.आर. गवई द्वारा शुरू किए गए सख्त नियमों को दृढ़ता से लागू करना शुरू कर दिया है, खासकर मामलों की तत्काल लिस्टिंग (मेंशनिंग) के संबंध में।
जस्टिस सूर्यकांत ने शपथ लेने से ठीक पहले दिन (24 नवंबर 2025) ही स्पष्ट कर दिया था कि अब मौखिक मेंशनिंग (Oral Mentioning) पूरी तरह से बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि केवल असाधारण परिस्थितियों, जैसे कि मृत्युदंड (Death Penalty) या व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) से जुड़े मामलों में ही मौखिक रूप से अर्जेंट लिस्टिंग की मांग सुनी जाएगी। बाकी सभी मामलों के लिए, वकीलों को लिखित मेंशनिंग स्लिप अनिवार्य रूप से जमा करनी होगी।
सीनियर्स के लिए मेंशनिंग पर पूर्ण प्रतिबंध
नए CJI जस्टिस सूर्यकांत भी पूर्व CJI बीआर गवई की तरह स्पेशल मेंशनिंग को लेकर सख्त हैं। शुक्रवार को, जब एक वरिष्ठ वकील ने अपने मामले की तुरंत सुनवाई के लिए मौखिक मेंशनिंग की कोशिश की, तो CJI की बेंच ने एक ही सख्त लाइन दोहराई। बेंच की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया:
यह टिप्पणी पूर्व CJI बी.आर. गवई के उस सर्कुलर की सीधी निरंतरता (continuity) है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि सीनियर एडवोकेट ओरल मेंशनिंग नहीं कर सकते। पूर्व CJI गवई ने यह व्यवस्था इसलिए बनाई थी क्योंकि वरिष्ठ वकीलों के मेंशनिंग करने से कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद होता था और छोटे वकीलों व अत्यंत जरूरी मामलों को अवसर नहीं मिल पाता था। CJI सूर्यकांत ने ठीक उसी लाइन को दोहराते हुए सर्कुलर का सख्ती से पालन कराया है।
तमिलनाडु मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
तत्काल मेंशनिंग के नियमों पर सख्ती के बीच, CJI की बेंच ने एक अन्य महत्वपूर्ण मामले पर भी टिप्पणी की। यह मामला तमिलनाडु सरकार की उस याचिका से संबंधित था, जिसमें उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय (मद्रास HC) के एक आदेश को चुनौती दी थी।
मद्रास हाईकोर्ट ने थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम के दौरान पत्थर के स्तंभ पर दीप जलाने की अनुमति दी थी, जिसे राज्य सरकार ने पर्यावरण और सुरक्षा का हवाला देते हुए अवमानना बताया था। राज्य सरकार के अनुसार, यह अनुमति हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों का उल्लंघन है। जबकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि स्तंभ पर दीप जलाना सदियों पुरानी परंपरा है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा, जिससे परंपरा और पर्यावरण/सुरक्षा के बीच के संघर्ष पर कानूनी स्थिति स्पष्ट होगी।
सख्ती का असर
यह बदलाव, जिसकी शुरुआत 2024 में पूर्व CJI गवई ने की थी, अब CJI सूर्यकांत के तहत और भी सख्ती से लागू किया जा रहा है। वकीलों का एक वर्ग मानता है कि इससे कोर्ट की कार्यवाही में अनुशासन आएगा और सभी वकीलों को समान अवसर मिलेंगे, लेकिन कुछ सीनियर एडवोकेट इसे “अनावश्यक सख्ती” बता रहे हैं। हालांकि, CJI का यह स्पष्ट संदेश कोर्ट रूम में गूंज उठा है कि ‘नियम सबके लिए बराबर हैं’, जो न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और समयबद्धता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।