तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर चल रही दशकों पुरानी राजनीति के बीच, केंद्रीय सूचना और प्रसारण और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने वाराणसी में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में राजनीति की वजह से वह हिंदी नहीं सीख सके थे, और जो भी हिंदी उन्होंने सीखी है, वह दिल्ली आने के बाद सीखी। मुरुगन ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी भाषा सीखना उनका हक है।
काशी तमिल संगमम 4.0 में अभिव्यक्ति
वाराणसी में काशी तमिल संगमम 4.0 के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री मुरुगन ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) सरकार की नीतियों पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, “(केंद्रीय शिक्षा मंत्री) धर्मेंद्र प्रधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति (NEP) लेकर आए। लेकिन, तमिलनाडु में राजनीति की वजह से, मैं हिंदी नहीं सीख पाया।"
मुरुगन ने अपनी व्यक्तिगत कठिनाई साझा करते हुए आगे कहा, “मैंने जो भी हिंदी सीखी, वह दिल्ली आने के बाद सीखी। हालांकि आज भी मेरी हिंदी टूटी-फूटी है, और अगर कोई गलती हो तो कृपया मुझे माफ कर दीजिएगा।” केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि वह इस मंच से राजनीति को लेकर कोई बात नहीं करेंगे।
हिंदी सीखना 'मेरा हक'
केंद्रीय मंत्री ने हिंदी सीखने की अपनी ललक पर बात करते हुए सवाल उठाया कि उन्हें हिंदी सीखने का मौका क्यों नहीं दिया गया।
"मुझे हिंदी सीखने का मौका क्यों नहीं दिया जा रहा है? मैं हिंदी सीखूंगा और यह मेरा हक है। लेकिन, वहां कोई मौका नहीं है (उनका स्पष्ट निशाना तमिलनाडु की सरकार पर था)।"
यह बयान तमिलनाडु में भाषा की राजनीति के खिलाफ एक मजबूत व्यक्तिगत पक्ष को दर्शाता है।
डीएमके का हिंदी विरोध और तीन-भाषा फॉर्मूला
तमिलनाडु में हिंदी का विरोध एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है। राज्य की डीएमके सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) द्वारा सुझाए गए तीन-भाषा फॉर्मूले का लगातार विरोध करती रही है . डीएमके का आरोप है कि केंद्र सरकार इस फॉर्मूले के जरिए राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है, हालांकि केंद्र ने इस आरोप को खारिज किया है। तमिलनाडु में हिंदी के खिलाफ पहले भी कई बड़े आंदोलन हो चुके हैं, जो राज्य की भाषाई पहचान की रक्षा पर केंद्रित रहे हैं।
काशी-तमिल संगमम 4.0 के चौथे संस्करण का उद्घाटन कल मंगलवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि की उपस्थिति में वाराणसी के नमो घाट पर हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों को मजबूत करना है।