दिल्ली में फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में हुए दंगों के मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता शरजील इमाम ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान तीखी दलीलें पेश कीं। इमाम ने खुद को बिना किसी दोषसिद्धि के 'खतरनाक बौद्धिक आतंकवादी' करार दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताई। वहीं, इसी मामले के सह-आरोपी उमर खालिद ने दलील दी कि दंगे के दौरान वह दिल्ली में मौजूद ही नहीं था।
शरजील इमाम: 'मुझे लेबल से तकलीफ पहुंची'
इमाम की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के समक्ष कहा:
“मैं कहना चाहूंगा कि मैं आतंकवादी नहीं हूं, जैसा कि पुलिस (प्रतिवादी) ने मेरे बारे में कहा है। मैं कोई राष्ट्र-विरोधी नहीं हूं, जैसा राज्य की ओर से कहा गया है। मैं इस देश का जन्म से ही नागरिक हूं। मुझे अब तक किसी भी अपराध के लिए दोषी भी नहीं ठहराया गया है।”
दवे ने बताया कि इमाम को दिल्ली दंगे से कुछ दिन पहले ही 28 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि दंगे फरवरी में हुए थे। इसलिए केवल भाषणों के आधार पर दंगों को लेकर आपराधिक साजिश का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
दवे ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) की ओर से लगाए गए आरोप का जिक्र करते हुए कहा, "मुझे एक खतरनाक बौद्धिक आतंकवादी करार दिया जा रहा है। ASG की ओर से कहा गया कि बौद्धिक आतंकवादी ज्यादा खतरनाक होते हैं। हालांकि मेरे खिलाफ एक भी आरोप साबित नहीं हो सका है। मुझे इस लेबल ने काफी तकलीफ पहुंचाई है।”
उमर खालिद: 'दंगे के दौरान मैं दिल्ली में नहीं था'
इसी तरह, उमर खालिद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि जब दिल्ली में दंगे हुए थे, तब खालिद दिल्ली में ही नहीं था और उसे इस तरह कैद में नहीं रखा जा सकता।
सिब्बल ने अमरावती में 17 फरवरी, 2020 को दिए गए खालिद के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उसने हिंसा का जवाब शांति से और नफरत का जवाब प्यार से देने की बात कही थी। सिब्बल ने सवाल किया, "यह यूएपीए का उल्लंघन कैसे है? अमरावती में दिए गए भाषण में कुछ भी सांप्रदायिक या भड़काऊ नहीं था।"
सिब्बल ने कोर्ट से आग्रह किया: "आप मुझे इस तरह जेल में नहीं रख सकते कि मैं आपको आपके विरोध प्रदर्शन के लिए दंडित करूंगा। अगर आपके पास मेरे खिलाफ कोई मामला है, तो मेरे खिलाफ केस चलाइए या मुझे दोषी करार देकर जेल भेज दीजिए।"
गुलफिशा फातिमा: 'अनंतकाल तक हिरासत में नहीं रख सकते'
दिल्ली हिंसा की एक अन्य आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्हें अनंतकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता ने करीब 6 साल जेल में गुजारे हैं, और केस में हो रही देरी अभूतपूर्व है।
फातिमा, शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और रहमान पर दिल्ली दंगों के कथित मास्टरमाइंड होने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।