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Posted On:Tuesday, July 29, 2025

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA मिलकर एक ऐतिहासिक मिशन लॉन्च करने जा रहे हैं। यह जॉइंट मिशन है ‘NISAR’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar), जो 30 जुलाई 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा।

निसार मिशन को पहले साल 2024 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी खामी के चलते इसकी लॉन्चिंग टालनी पड़ी। अब यह मिशन पूरी तरह तैयार है और इस पर दुनियाभर की वैज्ञानिक निगाहें टिकी हैं।


क्या है 'निसार' मिशन?

NISAR दुनिया का पहला डुअल-फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट है, जो पृथ्वी की सतह का उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैप बनाएगा। यह सैटेलाइट दो बैंड्स—L-बैंड (NASA द्वारा विकसित) और S-बैंड (ISRO द्वारा विकसित)—का इस्तेमाल करके डेटा इकट्ठा करेगा।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है:

  • पृथ्वी की सतह में आने वाले छोटे-से-छोटे बदलावों का पता लगाना

  • पर्यावरणीय आपदाओं की निगरानी

  • कृषि, वन, जल संसाधन और शहरीकरण से संबंधित डेटा संग्रह

तकनीकी जानकारी और लॉन्च विवरण

  • न्च की तारीख: 30 जुलाई 2025

  • लॉन्च व्हीकल: GSLV-F16

  • लॉन्च स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा

  • कक्षा: 747 किमी ऊंचाई पर पृथ्वी की निम्न कक्षा (Low Earth Orbit - LEO)

  • सैटेलाइट वजन: 2392 से 2800 किलोग्राम

  • मिशन की उम्र: लगभग 3 साल


खर्च और साझेदारी

NSAR मिशन को बनाने में कुल 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग ₹13,000 करोड़) की लागत आई है, जो इसे अब तक का सबसे महंगा अर्थ-इमेजिंग सैटेलाइट बनाता है।

  • ISRO का योगदान (₹788 करोड़):

    • सैटेलाइट बस

    • S-बैंड रडार

    • लॉन्च व्हीकल

    • लॉन्च सेवाएं

  • NASA का योगदान:

    • L-बैंड रडार

    • GPS रिसीवर

    • हाई-रेट कम्युनिकेशन सिस्टम

    • सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर


मिशन का उद्देश्य क्या है?

  1. पृथ्वी की सतह का निगरानी (Surface Deformation Mapping):
    हर 12 दिन में ग्लोबली ज़मीन की स्थिति और उसके बदलावों का पता लगाना।

  2. प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी और अध्ययन:

    • भूकंप

    • सुनामी

    • भूस्खलन

    • ज्वालामुखी विस्फोट

  3. जलवायु परिवर्तन की निगरानी:

    • ग्लेशियर का पिघलना

    • समुद्र के स्तर में वृद्धि

    • कार्बन चक्र पर नज़र

  4. वनस्पति और पर्यावरणीय अध्ययन:

    • बायोमास गणना

    • वनों की कटाई और विस्तार की ट्रैकिंग

  5. कृषि और जल संसाधन प्रबंधन:

    • मिट्टी में नमी की जानकारी

    • फसल की वृद्धि का अनुमान

    • भूजल की स्थिति

  6. इन्फ्रास्ट्रक्चर की निगरानी:

    • तेल रिसाव

    • शहरीकरण की गति

    • सड़कों, पुलों और इमारतों की संरचनात्मक स्थिति


निसार क्यों है खास?

  • यह पहला ऐसा मिशन है जिसमें NASA और ISRO ने बराबर की तकनीकी और आर्थिक भागीदारी निभाई है।

  • यह मिशन न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान बल्कि नीति निर्माण, कृषि योजना, और डिजास्टर मैनेजमेंट में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है।

  • निसार की हाई-रिज़ॉल्यूशन रडार इमेजिंग क्षमता से हर मौसम में, दिन-रात डेटा इकट्ठा किया जा सकेगा, चाहे बादल हों या अंधेरा।

वैज्ञानिकों की उम्मीदें

भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि निसार से मिले डेटा के ज़रिए:

  • भारत के कृषि क्षेत्रों को सूखा, बाढ़ और उपज की सटीक भविष्यवाणी मिल सकेगी

  • आपदा प्रबंधन एजेंसियों को अधिक सटीक अलर्ट जारी करने में मदद मिलेगी

  • जलवायु परिवर्तन से जुड़े निर्णयों को वैज्ञानिक आधार मिलेगा


निष्कर्ष:

NISAR मिशन केवल एक वैज्ञानिक प्रयास नहीं, बल्कि एक वैश्विक साझेदारी का प्रतीक है। यह मिशन धरती की बेहतर समझ, प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा और सतत विकास के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।

ISRO और NASA की यह ऐतिहासिक पहल भारत-अमेरिका वैज्ञानिक सहयोग का एक नया अध्या


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