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इजरायल ने यमन के बंदरगाह पर किया बड़ा हमला, हूती विद्रोहियों के सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना

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Posted On:Wednesday, September 17, 2025

मंगलवार को पश्चिम एशिया में एक बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया जब इजरायल ने यमन के हूती-नियंत्रित होदेदाह बंदरगाह पर हवाई हमला किया। यह हमला ऐसे समय पर हुआ है जब इजरायल पहले से ही गाज़ा में हमास और सीमावर्ती क्षेत्रों में हिज़्बुल्ला से संघर्ष कर रहा है। अब यमन में ईरान समर्थित हूती आतंकियों के खिलाफ यह कार्रवाई क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकती है।


हमले का उद्देश्य और इजरायल की सफाई

इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि उसने यमन के होदेदाह बंदरगाह पर स्थित एक सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया। IDF के अनुसार, यह ठिकाना हूती आतंकियों के नियंत्रण में था और इसका इस्तेमाल ईरान द्वारा भेजे गए हथियारों की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स के लिए किया जा रहा था।

IDF ने आरोप लगाया कि हूती संगठन इजरायल और उसके सहयोगियों पर लगातार हमले कर रहा है, और यह हमला उसी के जवाब में किया गया है। बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई "आत्मरक्षा" के तहत की गई है और इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाता रहेगा।


हूती की प्रतिक्रिया और स्थानीय रिपोर्ट्स

हूती के स्वामित्व वाली अल-मसीरा टेलीविजन ने रिपोर्ट किया कि इजरायल ने कुल 12 हवाई हमले किए, जो कि होदेदाह बंदरगाह और उसके आसपास के क्षेत्रों पर केंद्रित थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हमलों के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करते देखा गया।

इजरायली सैन्य प्रवक्ता कर्नल अविचाय एड्राई ने हमले से कुछ घंटे पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर चेतावनी जारी की थी। उन्होंने लिखा था कि होदेदाह बंदरगाह में मौजूद सभी लोगों को तुरंत स्थान खाली कर देना चाहिए, क्योंकि आने वाले समय में हूती के सैन्य ठिकानों पर हमला किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग वहां रुकते हैं, वे “अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।”


पृष्ठभूमि: हूती-ईरान-इजरायल संबंध

हूती विद्रोही यमन में वर्षों से सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं और ईरान का समर्थन उन्हें लंबे समय से प्राप्त है। इजरायल का मानना है कि ईरान इन आतंकियों को हथियार, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति करता है, ताकि वे इजरायल के खिलाफ युद्ध छेड़ सकें या सहयोगी देशों को नुकसान पहुंचा सकें।

यह हमला इस व्यापक संघर्ष का हिस्सा है, जिसमें इजरायल खुद को ईरानी नेटवर्क के खिलाफ क्षेत्रीय रक्षा युद्ध में घिरा पाता है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और संभावित असर

जरायल के इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलीजुली प्रतिक्रिया हो सकती है। एक तरफ जहां कुछ पश्चिमी देश इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार करते हैं, वहीं यमन में एक नया मोर्चा खोलना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।

गौरतलब है कि इससे पहले इजरायल ने दोहा (कतर) में हमास नेताओं को निशाना बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, मोसाद (इजरायली खुफिया एजेंसी) ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि इजरायल अपने दुश्मनों के खिलाफ रणनीतिक स्तर पर नए-नए विकल्प तलाश रहा है।

निष्कर्ष

इजरायल का यमन के हूती ठिकानों पर हमला एक बड़ा सैन्य और कूटनीतिक कदम है, जो मध्य पूर्व की पहले से ही जटिल परिस्थितियों को और तनावपूर्ण बना सकता है। इस तरह की कार्रवाइयों के क्षेत्रीय और वैश्विक असर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि यह कार्रवाई महज़ एक जवाबी हमला थी या फिर एक नए मोर्चे की शुरुआत।


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