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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ सीजफायर, जानिए किसकी रही भूमिका

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Posted On:Tuesday, July 29, 2025

दक्षिण-पूर्वी एशिया के दो पड़ोसी देश थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण सीजफायर समझौता हुआ है। यह सीजफायर लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद और झड़पों के बाद एक राहत की खबर लेकर आया है। दोनों देशों के बीच वर्षों से सीमावर्ती इलाकों को लेकर तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था, जो समय-समय पर सैन्य झड़पों और नागरिकों की जान-माल के नुकसान में तब्दील होता रहा है।

अब जब दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई है, तो इस सफलता के पीछे कुछ महत्वपूर्ण राजनयिक, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय प्रयासों की भूमिका रही है। आइए जानते हैं इस समझौते की पृष्ठभूमि, कारण और किसने निभाई इसमें मुख्य भूमिका।


📍 सीमावर्ती संघर्ष की पृष्ठभूमि

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद का मुख्य केंद्र प्रेह विहेयर मंदिर (Preah Vihear Temple) का इलाका है, जो कि कंबोडिया की सीमा में है लेकिन थाईलैंड भी उस पर दावा करता रहा है। यह क्षेत्र वर्षों से दोनों देशों के बीच राजनैतिक तनाव और सैन्य झड़पों का कारण रहा है।

2008 से लेकर 2011 के बीच यहां पर गंभीर गोलीबारी और गोलाबारी की घटनाएं हुई थीं, जिनमें कई सैनिकों और नागरिकों की मौत हो चुकी है। हाल के महीनों में फिर से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने लगा था और छोटी झड़पों की घटनाएं सामने आई थीं। लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक प्रयासों ने समय रहते हालात पर नियंत्रण पा लिया।


🕊️ सीजफायर की घोषणा

2025 की जुलाई में आखिरकार दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की। दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और राजनयिकों की सीमा बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से बचा जाएगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखा जाएगा।


🤝 किसने निभाई मुख्य भूमिका?

इस सीजफायर समझौते में कई स्तरों पर लोगों और संगठनों की अहम भूमिका रही है:

1. आसियान (ASEAN) की पहल

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन आसियान (ASEAN) इस मामले में एक शांतिदूत की भूमिका में रहा है। आसियान ने दोनों देशों के बीच बैकचैनल डिप्लोमेसी को मजबूती दी और कई गोपनीय वार्ताएं आयोजित करवाईं। संगठन के अध्यक्ष देश ने दोनों देशों को सीमा विवाद सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए राजी किया।

2. संयुक्त राष्ट्र की निगरानी

संयुक्त राष्ट्र की संघर्ष समाधान इकाई (Conflict Resolution Cell) ने भी इस मामले में मानवाधिकारों और सुरक्षा चिंताओं को उठाया। यूएन ने यह साफ किया कि लगातार सैन्य झड़पों से सीमा क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों का जीवन खतरे में है, और इससे अंतरराष्ट्रीय शांति पर भी असर पड़ सकता है।

3. थाईलैंड और कंबोडिया के प्रधानमंत्री

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों – थाईलैंड के प्रधानमंत्री चरत थोविपोर्न और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने सीधे संवाद में रुचि दिखाई और व्यक्तिगत रूप से शांति वार्ता की निगरानी की। यह नेतृत्व का स्पष्ट उदाहरण था जिसने दोनों देशों की जनता में उम्मीद की किरण जगाई।

4. स्थानीय नागरिक समाज और बुद्धिजीवी वर्ग

सीमा पर रहने वाले ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से और स्थानीय मीडिया में लेखों के ज़रिए सरकारों पर दबाव बनाया कि वे आम जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।


📈 सीजफायर के लाभ और आगे की राह

सीजफायर की घोषणा से अब दोनों देशों के बीच:

  • सीमावर्ती व्यापार में सुधार होगा

  • नागरिकों का जीवन सुरक्षित होगा

  • पर्यटकों की आवाजाही फिर से बढ़ेगी

  • द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी

इसके अलावा, थाईलैंड और कंबोडिया ने एक संयुक्त सीमा आयोग के गठन पर भी सहमति जताई है, जो आने वाले महीनों में सीमा विवाद के स्थायी समाधान की दिशा में काम करेगा।


🔍 चुनौतियाँ अभी भी बाकी

हालांकि सीजफायर एक बड़ा कदम है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। प्रेह विहेयर मंदिर पर अधिकार को लेकर विवाद अभी भी पूर्णतः सुलझा नहीं है। आने वाले दिनों में दोनों देशों को चाहिए कि वे:

  • कानूनी और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के आधार पर समाधान तलाशें

  • संयुक्त रूप से सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करें

  • सैन्य निर्माण को सीमित करें और संवाद को प्राथमिकता दें


📌 निष्कर्ष

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ सीजफायर दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक अहम कदम है। आसियान की पहल, संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और दोनों देशों के नेतृत्व के सहयोग से यह संभव हो सका। आने वाले समय में यह जरूरी है कि यह सीजफायर सिर्फ अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी समाधान की नींव बने। यही दोनों देशों की जनता के हित में होगा और क्षेत्रीय शांति के लिए भी बेहद ज़रूरी।


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