प्रयागराज न्यूज डेस्क: शहर में जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ रहा है, वैसे-वैसे आवारा कुत्ते और ज्यादा आक्रामक होते जा रहे हैं। सड़कों और गलियों में झुंड बनाकर घूमते ये कुत्ते बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी काटने के लिए दौड़ा लेते हैं। हालत ये है कि रोज़ाना बेली और कॉल्विन जैसे बड़े अस्पतालों में 100 से ज्यादा लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, रैबीज से बचने के लिए कुत्ता काटने पर 24 घंटे के भीतर वैक्सीन लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि रैबीज का असर तीन दिन से लेकर दो साल तक भी शरीर में नजर आ सकता है।
आक्रामक हो रहे कुत्तों का कारण गर्मी और लू की मार
पशु चिकित्सकों के अनुसार, गर्मी का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि कुत्तों पर भी पड़ रहा है। उनके शरीर में पसीने की ग्रंथियां नहीं होतीं जिससे गर्मी में उनका शरीर और ज्यादा तपने लगता है। जमीन की तपिश उनके पैरों को जला देती है और जीभ निकाल कर वह खुद को ठंडा रखने की कोशिश करते हैं। इस बेचैनी और चिड़चिड़ेपन के चलते कुत्ते अचानक राहगीरों पर हमला कर बैठते हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि गर्मी के कारण उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव भी होते हैं, जिससे वे हिंसक हो जाते हैं।
नगर निगम की उदासी, लोगों की बढ़ती परेशानी
शहर के कई इलाकों जैसे रामबाग, बहादुरगंज, हाईकोर्ट चौराहा और ईदगाह के पास कुत्तों के हमलों की घटनाएं आम होती जा रही हैं। बाइक और साइकिल सवार गिरकर घायल हो रहे हैं और बच्चे डर के मारे घर से बाहर नहीं निकल रहे। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले नगर निगम की गाड़ी आकर इन कुत्तों को पकड़ लेती थी, लेकिन अब जिम्मेदारों ने आंखें मूंद ली हैं। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या, उनकी बंध्याकरण प्रक्रिया में लापरवाही और अस्पतालों में एंटी रैबीज की अनियमित आपूर्ति, इन सभी कारणों ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।
बंध्याकरण शुरू, लेकिन रफ्तार धीमी
शिकायतों के बीच नगर निगम की ओर से बताया गया है कि 12 मई से आवारा कुत्तों का बंध्याकरण शुरू किया गया है और अब तक करीब 40 कुत्तों को इस प्रक्रिया से गुजारा जा चुका है। करेली के पास हड्डी गोदाम में बंध्याकरण केंद्र तैयार है जिसका शुभारंभ जल्द किया जाएगा। हालांकि लोगों का कहना है कि सिर्फ कुछ कुत्तों का बंध्याकरण काफी नहीं है, बल्कि बड़े स्तर पर अभियान चलाकर आक्रामक कुत्तों को पकड़ना और सभी अस्पतालों में वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना वक्त की मांग है।