उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बयानबाजी चरम पर है। पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा मुस्लिम कुलपति पर दिए गए बयान का कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी मुस्लिम को कुलपति या किसी उच्च पद पर नियुक्त करने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि वह व्यक्ति राष्ट्रद्रोही गतिविधियों से जुड़ा तो नहीं है। मंत्री ने कहा कि जो लोग राष्ट्र को कमजोर करने का काम करते हैं, वे न भारत में रहने के योग्य हैं और न किसी प्रकार के संरक्षण के पात्र।
मक्खनपुर में निजी कार्यक्रम के दौरान दिया बयान
फिरोजाबाद के मक्खनपुर में आयोजित एक निजी कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने जब मंत्री जयवीर सिंह से मौलाना मदनी के बयान से जुड़े प्रश्न पूछे, तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अल फलाह यूनिवर्सिटी या जौहर यूनिवर्सिटी के मामलों को लेकर पहले वास्तविकता देखनी चाहिए।
मंत्री ने आरोप लगाया कि कुछ व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई इसलिए होती है क्योंकि वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं, आतंकवादियों से संबंध रखते हैं या विदेशी ताकतों के इशारों पर काम करते हैं। ऐसे लोगों की पैरवी करना देशहित के खिलाफ है।
मौलाना मदनी ने उठाया था सवाल
दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन में मुस्लिम मेयर बन सकता है, लेकिन भारत में मुस्लिम कुलपति बनाए जाने पर उसे जेल भेज दिया जाता है। उनके इस बयान में अल फलाह यूनिवर्सिटी और जौहर यूनिवर्सिटी के मामलों का जिक्र था, जिसके आधार पर उन्होंने भारतीय व्यवस्था पर सवाल उठाए।
मंत्री का पलटवार – “पहले जांच लें कि राष्ट्रद्रोही न हो”
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि मौलाना मदनी बिना तथ्य जाने बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा—
“किसी भी मुस्लिम को कुलपति बनाया जाए इससे हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन पहले यह देखना जरूरी है कि वह राष्ट्रद्रोही तो नहीं है। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को उच्च पद देना देश के साथ विश्वासघात होगा। जयवीर सिंह के इस बयान ने राज्य की राजनीतिक सरगर्मियों को और तेज कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र को कमजोर करने वालों की पैरवी करने वाले भी उतने ही दोषी हैं जितने वे लोग, जो सीधे तौर पर ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
अखिलेश यादव के SIR बयान पर भी प्रतिक्रिया
मंत्री से जब समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के SIR (Special Summary Revision) पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि यह कोई चुनाव नहीं है कि शादी के सीजन में कराया जा रहा हो। यह सिर्फ वह प्रक्रिया है जिसमें पात्र लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े जाते हैं और अपात्र के नाम हटाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के बाद अखिलेश यादव और उनकी पार्टी डरी हुई है, इसलिए भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। मंत्री का आरोप था कि विपक्ष को इस बात का भय है कि उनका जनाधार खिसक रहा है, इसी वजह से वह ऐसी बयानबाजी कर रहा है।