भारत और दुनिया की निगाहें जिस ऐतिहासिक मिशन की ओर टिकी थीं, वह एक बार फिर टल गया है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए प्रस्तावित Axiom-4 मिशन को 22 जून को लॉन्च किया जाना था, लेकिन एक बार फिर तकनीकी कारणों से इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई है। इस मिशन का भारत के लिए विशेष महत्व था क्योंकि इसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को शामिल किया गया था, जो इसरो और नासा के साझा मिशन में भाग लेने वाले पहले पूर्णतः निजी भारतीय यात्री बनने वाले थे।
क्या है Axiom-4 मिशन?
Axiom-4 मिशन अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी Axiom Space का चौथा मिशन है, जिसे NASA, SpaceX, ESA (यूरोपीय स्पेस एजेंसी) और ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के सहयोग से अंजाम दिया जाना है। इस मिशन को SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाना था और इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जाकर 14 दिनों तक विशेष वैज्ञानिक प्रयोग करना था।
इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जिनमें भारत के शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका, इटली और जापान के यात्री शामिल हैं। मिशन के दौरान ये चारों ISS पर पहले से मौजूद 7 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मिलकर 7 महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करने वाले थे।
लगातार 5वीं बार टली लॉन्चिंग
Axiom-4 मिशन अब तक 5 बार टल चुका है। पहले 29 मई को इसे लॉन्च किया जाना था, लेकिन फिर:
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8 जून को खराब मौसम के चलते रोका गया,
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10 और 11 जून को रॉकेट में रिसाव की वजह से रोका गया,
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इसके बाद रॉकेट में ऑक्सीजन लीकेज की समस्या आई,
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और अब 22 जून को सर्विस मॉड्यूल के पिछले हिस्से में मरम्मत के चलते मिशन फिर स्थगित कर दिया गया।
ISS ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसX मिलकर अब मिशन की नई लॉन्च डेट तय करेंगे।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की भूमिका
शुभांशु शुक्ला, जो इस समय नासा के प्रोटोकॉल के तहत क्वारंटीन में हैं, Axiom-4 मिशन का प्रमुख चेहरा हैं। शुक्ला एक भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने इसरो और फिर अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण के बाद खुद को एक योग्य निजी अंतरिक्ष यात्री के रूप में तैयार किया। उनका इस मिशन में शामिल होना भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
उनकी भूमिका मिशन में न केवल भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगों की निगरानी करना है, बल्कि भारतीय मूल की नई अंतरिक्ष पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनना भी है।
मिशन की लागत और उद्देश्य
Axiom-4 मिशन पर कुल लागत 5140 करोड़ रुपये (करीब 60 मिलियन डॉलर) है। यह एक पूर्णतः प्राइवेट मिशन है, जिसका संचालन Axiom Space के माध्यम से किया जा रहा है। मिशन के दौरान अंतरिक्ष में 14 दिन बिताने वाले 4 यात्री धरती पर मौजूद 60 वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 7 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं पर काम करेंगे।
इन वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व 31 देशों से होगा, जिससे यह मिशन एक प्रकार से वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग का प्रतीक बन गया है। प्रयोगों का उद्देश्य जीवन विज्ञान, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव, नई दवाओं की खोज, अंतरिक्ष कृषि और भविष्य के स्पेस मिशन के लिए जरूरी तकनीकों की टेस्टिंग है।
ISRO और NASA की साझेदारी
इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिकी एजेंसी NASA की अहम साझेदारी है। ISRO द्वारा विकसित वैज्ञानिक उपकरण, सेंसर और विशेष प्रयोगों को इस मिशन में शामिल किया गया है। साथ ही भारतीय टीम के वैज्ञानिक मिशन के दौरान पृथ्वी से पूरे डेटा की निगरानी करेंगे।
निष्कर्ष: चुनौतियों के बावजूद उम्मीद कायम
Axiom-4 मिशन का बार-बार टलना भले ही निराशाजनक है, लेकिन यह भी बताता है कि अंतरिक्ष अभियानों में सुरक्षा और पूर्णता को सबसे ऊपर रखा जाता है। शुभांशु शुक्ला जैसे प्रतिभाशाली भारतीय युवा का अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचना भारत की वैज्ञानिक क्षमता और स्पेस डिप्लोमेसी का प्रमाण है।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगली लॉन्च डेट कब घोषित होती है और कब भारत के एक और बेटे का नाम 'स्पेस में भारत' के इतिहास में दर्ज होता है।
"हर असफल लॉन्च, सफलता की जमीन मजबूत करता है। शुभांशु शुक्ला की उड़ान सिर्फ एक इंसान की नहीं, भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाओं की उड़ान है।"