बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। लगभग सभी एग्जिट पोल्स राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बढ़त दिखा रहे हैं। हालांकि, शिवहर विधानसभा सीट को लेकर तस्वीर अब भी धुंधली बनी हुई है। यहां किसी भी पार्टी या गठबंधन की स्पष्ट बढ़त नहीं दिख रही है। स्थानीय पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जनसुराज ने पारंपरिक समीकरणों को बदल दिया है और यही कारण है कि शिवहर की लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है।
जानकारी के मुताबिक, शिवहर जिले में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। मतदाताओं के बीच इस बार बेरोजगारी, बाढ़ और स्थानीय विकास जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। कई मतदान केंद्रों पर युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी देखी गई। स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, जनसुराज ने जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाई है और इस बार यह पार्टी यहां एक 'गेम चेंजर' साबित हो सकती है। हालांकि अंतिम नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, जिनका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
जनसुराज पार्टी ने बदला समीकरण
शिवहर में इस बार मुकाबला सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं है, बल्कि जनसुराज ने तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराई है। प्रशांत किशोर की पार्टी ने खासकर नए और युवा वोटरों के बीच प्रभाव जमाया है। बीजेपी गठबंधन से नाराज मतदाता भी इस बार जनसुराज की ओर झुकते नजर आए हैं। यही वजह है कि इस सीट पर तीन-कोणीय मुकाबला बन गया है, जिससे दोनों पारंपरिक गठबंधनों की जीत मुश्किल में फंसती दिख रही है।
इस सीट से राजद (RJD) की ओर से नवनीत कुमार मैदान में हैं, जबकि एनडीए ने जेडीयू (JDU) की श्वेता गुप्ता पर दांव लगाया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां राजद के चेतन आनंद ने जीत दर्ज की थी। उससे पहले, 2015 में यह सीट जेडीयू के कब्जे में थी। शिवहर बिहार की सबसे कम जनसंख्या वाली सीट मानी जाती है, जहां हर वोट बेहद अहम भूमिका निभाता है।
स्थानीय पत्रकारों की राय
स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि शिवहर में इस बार मुकाबला बेहद करीबी है। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत सिंह का कहना है कि “जनसुराज का उम्मीदवार एनडीए के लिए खतरे की घंटी बन गया है, क्योंकि उसका वोट बैंक सीधे एनडीए को नुकसान पहुंचा रहा है।” वहीं पत्रकार मनीष नंदन का कहना है कि “शिवहर का मतदाता चुप है, किसी एक पक्ष में स्पष्ट झुकाव नहीं दिख रहा है, इसलिए अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।” पत्रकार संजीत कुमार के अनुसार, “पारंपरिक तरीके से इस बार चुनावी समीकरण काम नहीं कर रहे हैं। मतदाता अपने फैसले को लेकर खामोश हैं, जिससे नतीजों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।”
कुल मिलाकर, शिवहर सीट इस बार बिहार विधानसभा चुनाव का सबसे रोमांचक केंद्र बन गई है। एनडीए और महागठबंधन जहां अपनी पारंपरिक ताकत पर भरोसा जता रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर की जनसुराज ने दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। अब सबकी नजरें 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं, जब यह साफ होगा कि आखिर शिवहर में जनता ने किसे अपना प्रतिनिधि चुना है।