अगर आप हाल ही में सब्ज़ियां खरीदने बाजार गए हैं, तो आपने यह जरूर महसूस किया होगा कि कुछ दिनों में ही सब्ज़ियों के दाम तेजी से बढ़ गए हैं। खासकर टमाटर की कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिल रहा है। जो टमाटर कुछ समय पहले 30 रुपये किलो तक मिल रहा था, वही अब 60 से 70 रुपये किलो की दर से बिक रहा है। इससे आम लोगों की जेब पर सीधा भार पड़ रहा है, और कई परिवार अब पहले की तरह एक किलो के बजाय आधा किलो टमाटर ही खरीदकर काम चला रहे हैं।
एक महीने में 25% से 100% तक बढ़ी कीमतें
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ एक महीने में देश के अलग-अलग राज्यों में टमाटर के रिटेल दाम 25% से 100% तक बढ़ गए हैं। होलसेल बाजारों में भी यही ट्रेंड देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र, जो देश में टमाटर का प्रमुख सप्लायर है, वहां होलसेल दाम में 45% तक उछाल आया है। वहीं दिल्ली—जो उत्तर भारत का सबसे बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन हब है—वहां कीमतों में 26% बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कई जगहों पर अच्छी क्वालिटी का टमाटर अब 80 रुपये किलो तक बिक रहा है, जिससे उपभोक्ताओं की चिंता और बढ़ गई है।
ट्रेडर्स का कहना है कि इस समय देशभर में शादियों का सीजन चल रहा है। इसके अलावा दिसंबर के अंत में पड़ने वाले त्योहार और छुट्टियों का दौर भी सब्ज़ियों की मांग बढ़ा रहा है। मांग बढ़ने और सप्लाई कम होने की वजह से आने वाले दिनों में भी दाम ऊंचे बने रह सकते हैं।
अक्टूबर में राहत, अब फिर महंगाई
अक्टूबर महीना सब्ज़ी खरीदने वालों के लिए राहत भरा रहा था।
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टमाटर की महंगाई: -42.9%
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प्याज की महंगाई: -54.3%
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आलू की महंगाई: -36.6%
लेकिन नवंबर आते-आते तस्वीर पूरी तरह बदल गई। अब सप्लाई में कमी के कारण टमाटर और दूसरी सब्ज़ियों की कीमतों में तेजी आ रही है।
सप्लाई कम, मंडियों में आधी हुई आवक
ट्रेडर्स के अनुसार, पिछले हफ्ते कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात से दिल्ली की आजादपुर मंडी में आने वाले ट्रकों की संख्या आधे से ज्यादा कम हो गई है। ट्रकों की कम आवक का सीधा असर रिटेल बाजारों में दिख रहा है, जहां टमाटर की उपलब्धता कम हो गई है और कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।
बारिश ने बरबाद की फसल
सबसे बड़ी वजह है—लंबे समय तक हुई बारिश, जिसने खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। जहां अच्छी क्वालिटी का टमाटर तैयार होना था, वहां लगातार बारिश से फसल खराब हो गई। फसलें खराब होने से सप्लाई कम हुई, और इसका असर सीधे बाजारों में दिखाई देने लगा है। किसानों का कहना है कि अगर मौसम सामान्य रहता, तो नवंबर-दिसंबर में मार्केट में नई फसल की भरपूर आवक होती। लेकिन खराब मौसम ने इस चक्र को बाधित कर दिया है।