अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर खुलकर नाराजगी जताई है। ट्रंप, जो अक्सर दावा करते रहे हैं कि उन्होंने दुनिया में आठ बड़े युद्ध रुकवाए, अब कह रहे हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच सुलह कराना उनके लिए आसान साबित नहीं हो रहा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस मामले में सबसे बड़ी अड़चन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की हैं, जिन्होंने अब तक उनके प्रस्ताव को पढ़ने तक की जहमत नहीं उठाई।
"जेलेंस्की ने अब तक मेरा प्रस्ताव नहीं पढ़ा"
ट्रंप ने कहा कि वह दोनों पक्षों—रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन नेतृत्व—से लगातार बातचीत कर रहे हैं, लेकिन आगे बढ़ने की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं दिख रही। उनका कहना था कि रूस उनके द्वारा तैयार शांति प्रस्ताव पर चर्चा के लिए इच्छुक दिखता है, लेकिन Kiev नेतृत्व में इच्छाशक्ति की कमी है।
ट्रंप के शब्दों में, "मैंने आठ युद्ध खत्म किए। मैंने सोचा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना थोड़ा आसान होगा, लेकिन इसे आसान नहीं बनने दिया जा रहा है। मैं निराश हूं कि प्रेसिडेंट जेलेंस्की ने अभी तक मेरा प्रस्ताव नहीं देखा। रूस को इससे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे (यूक्रेन) तैयार नहीं हैं।"
यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन में जवाबी हमलों, ड्रोन हमलों और सीमा पर संघर्ष लगातार तेज़ होते जा रहे हैं।
नेटफ्लिक्स-वार्नर ब्रदर्स डील पर ट्रंप की टिप्पणी
अमेरिकी मीडिया बाज़ार में चल रही सबसे बड़ी चर्चित डील—वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी को नेटफ्लिक्स द्वारा खरीदने के प्रस्ताव—पर भी ट्रंप ने कहा कि यह अभी प्रक्रिया में है और अमेरिकी नियामक एजेंसियों की मंजूरी पर निर्भर करेगा। ट्रंप ने कहा, "नेटफ्लिक्स एक बेहतरीन कंपनी है, लेकिन इसका मार्केट शेयर बहुत ज्यादा है। हमें देखना होगा नियामक क्या फैसला लेते हैं। इस बयान के साथ उन्होंने मीडिया मर्जर पर फेडरल कंट्रोल की जरूरत को भी दोहराया। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह डील पास हो गई, तो OTT बाजार में नेटफ्लिक्स एक तरह का "सुपर मोनोपोली" बना सकता है।
भारत-पाक संघर्ष रोकने का झूठा श्रेय?
ट्रंप ने कई मंचों पर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सैन्य तनाव उनकी दखल से रुका। हालांकि भारत ने इसे पूरी तरह प्रचार और राजनीतिक बयानबाज़ी करार देते हुए कहा कि ट्रंप ने न तो मध्यस्थता की और न ही किसी वार्ता प्रक्रिया में भूमिका निभाई। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, उस समय पाकिस्तान के नेतृत्व—पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर—ने वॉशिंगटन का दौरा तो किया था, लेकिन उसका भारत-पाक तनाव से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था। विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप के लिए यह बयान घरेलू राजनीति में अपनी “शांति निर्माता” छवि बनाने का प्रयास अधिक था, जिसका अंतरराष्ट्रीय परिणाम नगण्य रहा।
कैरेबियन ऑपरेशन पर भी बढ़ा विवाद
ट्रंप प्रशासन इस समय कैरेबियन सागर में चल रहे अमेरिकी मिलिट्री ऑपरेशन के कारण भी वैश्विक आलोचना के घेरे में है। वेनेजुएला पर अमेरिका का यह आरोप पुराना है कि कैरेबियन मार्ग से ड्रग्स की तस्करी की जाती है और इसका नेटवर्क अमेरिकी माफिया और साउथ अमेरिकन कार्टेल्स तक फैला हुआ है। हालिया ऑपरेशन में कई लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। अमेरिकी युद्ध सचिव ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा की ज़रूरत” बताते हुए जायज़ ठहराया, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में रखा है।