प्रयागराज न्यूज डेस्क: जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या और स्कूल मर्जर की खबरें चर्चा में हैं, वहीं प्रयागराज का राजापुर कंपोजिट स्कूल मिसाल बनकर सामने आया है। यह स्कूल अपने स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल टेक्स्टबुक और रचनात्मक शिक्षण पद्धति के चलते निजी विद्यालयों को भी चुनौती दे रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चे न केवल तकनीक में माहिर हो रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्कूल की सहायक अध्यापक अनुरागिनी सिंह ने बच्चों को पेड़ों की पत्तियों से मछली, चिड़िया, चूहा, एयरोप्लेन जैसी आकृतियां बनाना सिखाया। इससे बच्चों में रचनात्मकता, एकाग्रता और रंगों की समझ का विकास हो रहा है। इन गतिविधियों से बच्चों का क्लास से जुड़ाव भी मजबूत हो रहा है और वे पढ़ाई को बोझ नहीं, खेल की तरह लेते हैं। बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट ने भी सोशल मीडिया पर इन बच्चों की तारीफ की है।
इंचार्ज प्रधानाध्यापक अमान उल्लाह के अनुसार, बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें पुरस्कार भी दिए जाते हैं। स्टूडेंट ऑफ द ईयर और स्टूडेंट ऑफ द मंथ जैसी घोषणाएं कर उनका सेलिब्रिटी की तरह स्वागत होता है। इससे अन्य छात्र भी प्रेरित होते हैं और स्कूल का माहौल सकारात्मक बनता है। गणित की पढ़ाई भी मैदान में खेल-खेल में कराई जाती है, जिससे बच्चे उसे आसानी से समझ सकें।
विद्यालय के छात्र केशरी नंदन पटेल और राशि सिंह को राष्ट्रीय आविष्कार अभियान पुरस्कार 2024-25 के लिए भी चुना गया है। इसके अलावा स्कूल में सेल्फ डिफेंस, जूडो-कराटे, डांसिंग, पेंटिंग, क्राफ्ट और टॉय मेकिंग जैसी हॉबी क्लास भी चलती हैं। अमान उल्लाह का कहना है कि बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और जिंदगी के जरूरी कौशल सिखाना ही उनका मकसद है।