प्रयागराज न्यूज डेस्क: गंगा, यमुना, केन, चंबल और बेतवा नदियों का जलस्तर इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है, जिससे एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। प्रशासन ने अभी सिर्फ एक गांव को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है, लेकिन एहतियातन जिले की 95 बाढ़ चौकियों को बुधवार से सक्रिय कर दिया गया है। गंगा और यमुना इस समय खतरे के निशान से करीब दो मीटर नीचे हैं, फिर भी जलस्तर बढ़ने के चलते सभी आठ गेट बंद कर दिए गए हैं।
झूंसी क्षेत्र में बाढ़ का असर साफ दिखने लगा है। पखवाड़े भर के भीतर दूसरी बार यहां के डेढ़ दर्जन कछारी गांवों में पानी भर गया है। बदरा-सोनौटी मार्ग मंगलवार तड़के ही बाढ़ की चपेट में आ गया, जिससे सैकड़ों बीघे धान की फसल बर्बाद हो गई और गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया। ग्रामीणों की आवाजाही के लिए प्रशासन को नावें चलानी पड़ीं। किसानों की सालभर की मेहनत पानी में बह गई और हालात बुधवार रात तक और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
बाढ़ के पानी ने न सिर्फ गांवों को घेरा बल्कि महाकुंभ के दौरान करोड़ों रुपये की लागत से बने स्नान घाट और एसटीपी भी डूब गए हैं। झूंसी के छतनाग समेत तीन स्नान घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। इन घाटों का इस्तेमाल आगामी कुंभ स्नान के लिए किया जाना था, लेकिन फिलहाल वे बाढ़ के पानी में डूबे पड़े हैं।
बदरा-सोनौटी मार्ग पर बाढ़ का पानी इतना बढ़ गया कि एक डीसीएम ट्रक बीच रास्ते में ही फंस गया। प्रशासन ने बक्शी बांध, मोरी गेट, बलुआघाट और अन्य पंपिंग स्टेशनों को सक्रिय कर जल निकासी की कोशिश शुरू की है। गंगा तट से सटे नई और पुरानी झूंसी के इलाकों में दहशत का माहौल है, और लोग हालात पर टकटकी लगाए हुए हैं कि पानी कब घटेगा।