प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां उफान पर हैं और कभी भी खतरे के निशान को पार कर सकती हैं। कछारी क्षेत्रों के बाद अब बाढ़ का पानी शहर की बस्तियों की तरफ बढ़ रहा है, जिससे लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं। प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया है और नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के साथ-साथ राहत सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है। फिलहाल जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जबकि दो दर्जन से ज्यादा मोहल्लों के लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, नैनी में यमुना का जलस्तर 83.81 मीटर और फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 83.48 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के बिंदु 84.734 मीटर के बेहद करीब है। यमुना 27 सेंटीमीटर और गंगा 26 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। केन, चंबल, बेतवा समेत अन्य नदियों के जलस्तर में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। एहतियात के तौर पर जिले के सभी आठ गेट बंद कर दिए गए हैं।
प्रशासन ने 95 बाढ़ चौकियों को सक्रिय किया है और बाढ़ सुरक्षा योजना के तहत बनाए गए पंपिंग स्टेशनों के जरिए निचले इलाकों से पानी की निकासी की जा रही है। बक्शी बांध, बेनी बांध और यमुना बांध जैसे प्रमुख सुरक्षा तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। इन बांधों का उच्चतम स्तर 89.50 मीटर निर्धारित है, जो 1978 की भीषण बाढ़ से ज्यादा है। फिलहाल सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे हैं, लेकिन बढ़ते जलस्तर को देखते हुए चौकसी बरती जा रही है।
इस बीच, बाढ़ प्रभावित लोग शिविरों में पहुंचने लगे हैं। कैंट क्षेत्र की आठवीं की छात्रा अनुष्का अपने पालतू जानवरों के साथ राहत शिविर में आ गई हैं, क्योंकि उनका घर पानी में डूब गया है। प्रशासन ने चिल्ला घाट पर नाव तैनात कर दी है और जरूरतमंदों को राहत सामग्री पहुंचाने का काम जारी है।