केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर की प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने वीर सावरकर इंस्पिरेशन पार्क का भी उद्घाटन किया। अपने संबोधन में अमित शाह ने सावरकर के बलिदान और उनके समाज सुधारक के रूप में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला, और कहा कि उन्हें वह पहचान नहीं मिली जिसके वे वास्तव में हकदार थे।
अंडमान अब 'तीर्थ स्थल'
अमित शाह ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को सावरकर के बलिदान के कारण 'तीर्थ स्थान' बताया।
उन्होंने सेलुलर जेल में सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को झेलनी पड़ी अकल्पनीय कठिनाइयों को याद किया। शाह ने कहा, "आज़ादी से पहले, जो व्यक्ति यहां (कालापानी) लाया जाता था, उसका परिवार उसे भूल जाता था। कालापानी से वापस आने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। अगर वे वापस आते भी थे, तो शरीर, मन और आत्मा नष्ट हो जाती थी और वे कभी भी अपने मूल रूप में वापस नहीं आ पाते थे।"
गृहमंत्री ने कहा कि अंडमान आज भारतीयों के लिए एक 'तीर्थ स्थल' बन गया है, क्योंकि वीर सावरकर ने यहां अपने जीवन के सबसे कठिन दिन बिताए हैं।
समाज सुधारक के रूप में सावरकर
अमित शाह ने सावरकर को उनके समाज सुधारक के रूप में किए गए प्रयासों के लिए असली पहचान न मिलने पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा:
"वीर सावरकर जी को देश में अस्पृश्यता दूर करने के उनके प्रयासों के लिए कभी वह पहचान नहीं मिली जिसके वे पात्र थे। उन्होंने अपने समय में हिंदू समाज के भीतर व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया और समुदाय के विरोध के बावजूद आगे बढ़ते रहे।"
शाह ने कहा कि सावरकर ने देश से छुआछूत खत्म करने के लिए कई काम किए, हिंदू समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी, और समाज से विरोध झेलते हुए भी आगे बढ़ते रहे।
🇮🇳 आज़ादी की पहली भूमि
अमित शाह ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह स्थान एक और महान स्वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादों से भी जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि जब आज़ाद हिंद फौज ने भारत को आज़ाद कराने का संकल्प लिया, तो ज़मीन का पहला टुकड़ा जिसे उन्होंने आज़ाद कराया, वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह था। नेताजी ने इन द्वीपों का नाम बदलकर 'शहीद' और 'स्वराज' रखने का सुझाव दिया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया।
गृहमंत्री शाह ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि अंडमान और निकोबार कोई सामान्य द्वीप समूह नहीं हैं, बल्कि यह "असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों की तपस्या, बलिदान, समर्पण और अटूट देशभक्ति से बनी पवित्र भूमि है।" उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के तहत मृत्यु की सज़ा और सेलुलर जेल की कठिनाइयों को सहन करते हुए यहां बहुत से लोगों ने अपने जीवन की आहुति दी है।