भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे तनावपूर्ण हालात के बीच विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा के लिए एक बुलेटप्रूफ गाड़ी उनके काफिले में शामिल की है, जो अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है।
एस. जयशंकर, जो भारत की विदेश नीति के सबसे मुखर और प्रभावशाली चेहरों में से एक हैं, की इस ऑपरेशन में प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगातार बैठकें कीं और रणनीतिक निर्णयों में भाग लिया। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जताई कि वे आतंकी संगठनों के निशाने पर आ सकते हैं। इस वजह से उनकी सुरक्षा को और मजबूत करने का फैसला लिया गया।
कैसी होती है बुलेटप्रूफ गाड़ी?
विदेश मंत्री के काफिले में शामिल की गई बुलेटप्रूफ गाड़ी न केवल गोली से सुरक्षा देती है, बल्कि विस्फोट और रासायनिक हमलों से भी काफी हद तक बचाने में सक्षम होती है।
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इसमें इस्तेमाल किया गया ग्लास मोटा और लैमिनेटेड होता है, जिससे AK-47 जैसी राइफल की गोली भी नहीं घुस सकती।
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इसका टायर स्पेशल रन-फ्लैट टेक्नोलॉजी से बना होता है, यानी अगर टायर पंक्चर हो जाए, तो भी यह गाड़ी 50 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर सकती है।
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गाड़ी का चेसिस और बॉडी विशेष आर्मर्ड प्लेट्स से बनी होती है, जो इसे अत्यधिक सुरक्षित बनाती है।
पहले भी बढ़ चुकी है सुरक्षा
यह पहली बार नहीं है जब विदेश मंत्री की सुरक्षा में इजाफा हुआ है। अक्टूबर 2024 में उन्हें वाई कैटेगरी से बढ़ाकर Z कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी।
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इस दौरान उनकी सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ (CRPF) को सौंपा गया था, जिन्होंने दिल्ली पुलिस से यह कार्यभार संभाला।
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Z कैटेगरी सुरक्षा के तहत उनके साथ 33 सशस्त्र कमांडो हर समय तैनात रहते हैं।
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इनमें से कुछ कमांडो उनकी स्थायी सुरक्षा के लिए होते हैं, जबकि बाकी यात्रा और आयोजनों के दौरान सुरक्षा घेरे को मजबूत करते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: तनाव की जड़
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर नाम से एक जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई।
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यह ऑपरेशन 7-8 मई की दरमियानी रात को अंजाम दिया गया।
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भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में स्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए।
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इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबरें सामने आईं।
इस सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए, जिसमें भारत के सीमावर्ती इलाकों में हवाई हमले शामिल थे। भारत ने फिर से पाकिस्तानी वायुसेना के 7 एयरबेस को नष्ट कर करारा जवाब दिया।
हाई अलर्ट पर भारतीय सेना
इन घटनाओं के बाद से भारत की तीनों सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती, एयर डिफेंस सिस्टम की सक्रियता, और सैटेलाइट सर्विलांस बढ़ा दिया गया है।
ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री सहित कई शीर्ष नेताओं की सुरक्षा की समीक्षा की है।
एस. जयशंकर चूंकि विदेश नीति और रणनीतिक संवाद का अहम चेहरा हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा को विशेष रूप से मजबूत किया गया है।
एस. जयशंकर: भारत की विदेश नीति के दृढ़ स्तंभ
डॉ. एस. जयशंकर पूर्व राजनयिक रहे हैं और उन्होंने अमेरिका, चीन और यूरोप के साथ भारत के रिश्तों को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। उन्होंने डोकलाम विवाद, गालवान घाटी संघर्ष, यूक्रेन युद्ध, और अब ऑपरेशन सिंदूर जैसे मामलों में भारत का रुख स्पष्टता और दृढ़ता से दुनिया के सामने रखा है।
उनका सीधा संवाद और तर्कपूर्ण बयान अक्सर भारत के हितों की मज़बूती से रक्षा करते हैं। इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को यह आशंका है कि कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों के लिए वे एक प्रमुख लक्ष्य बन सकते हैं।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच भारत सरकार ने अपने प्रमुख नेताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर, जिनकी रणनीतिक भूमिका इस पूरे ऑपरेशन में महत्वपूर्ण रही, अब और अधिक सुरक्षा घेरे में रहेंगे।
बुलेटप्रूफ गाड़ी के शामिल होने से न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि भारत किसी भी प्रकार की आतंकी धमकी या दबाव से नहीं झुकेगा।