आज भारतीय राजनीति ने एक गंभीर और अपूरणीय क्षति झेली है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास का अहमदाबाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। 78 वर्षीय गिरिजा व्यास पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थीं। वे 31 मार्च को गणगौर पूजा के दौरान आग की चपेट में आ गई थीं, जिससे उन्हें 80% से ज्यादा जलन हो गई थी। गंभीर हालत में उन्हें अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली।
गणगौर पूजा बना हादसे का कारण
गिरिजा व्यास के निधन की पृष्ठभूमि एक दर्दनाक घरेलू हादसे से जुड़ी है। 31 मार्च को वे अपने घर पर गणगौर पूजा कर रही थीं। आरती के दौरान दीपक से उनके दुपट्टे में आग लग गई, जो तेजी से फैल गई। इससे वे बुरी तरह झुलस गईं। हादसे के बाद उन्हें तत्काल उदयपुर में प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर गंभीर स्थिति को देखते हुए अहमदाबाद रेफर कर दिया गया।
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और उनके भाई गोपाल शर्मा गोपजी ने हादसे के तुरंत बाद जानकारी दी थी कि गिरिजा व्यास 80% से अधिक जल चुकी थीं और गिरने से सिर में भी गंभीर चोट आई थी। उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था।
कांग्रेस नेताओं में शोक की लहर
गिरिजा व्यास के निधन की खबर से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उनके परिजनों से बात कर संवेदना व्यक्त की थी। उनके इलाज की जानकारी लगातार कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा ली जा रही थी।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके साथ की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा—
"पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. गिरिजा व्यास का असमय निधन हम सबके लिए एक बड़ा आघात है। उनका शिक्षा, राजनीति और समाज सेवा में योगदान अविस्मरणीय है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।"
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल से उनके इलाज की निगरानी को लेकर बात की थी।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन की प्रेरणादायक यात्रा
डॉ. गिरिजा व्यास का राजनीतिक और सामाजिक जीवन अनुकरणीय रहा है। उन्होंने राजनीति में अपने लिए एक विशेष स्थान बनाया और महिलाओं की आवाज़ बनने का काम किया।
-
वे 1985 से 1990 तक राजस्थान सरकार में मंत्री रहीं।
-
उन्हें उदयपुर से तीन बार लोकसभा सांसद चुना गया और एक बार चित्तौड़गढ़ से।
-
2009 में उन्होंने चित्तौड़गढ़ से लोकसभा चुनाव जीता था।
-
वे राष्ट्रीय महिला आयोग की दो बार अध्यक्ष रहीं और इस पद पर रहते हुए उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए अहम कार्य किए।
-
वे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही हैं।
राजनीति से इतर, वे कवि, लेखक और शिक्षाविद् भी थीं। वे अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर रह चुकी थीं और उन्होंने कई कविता संग्रह और लेख लिखे।
2018 का आखिरी चुनाव
डॉ. व्यास ने 2018 में आखिरी बार उदयपुर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने हराया था। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से कुछ दूरी बना ली थी लेकिन सामाजिक कार्यों और पार्टी के मार्गदर्शन में योगदान देती रहीं।
निष्कर्ष: एक युग की विदाई
डॉ. गिरिजा व्यास का निधन न केवल कांग्रेस पार्टी के लिए बल्कि भारतीय राजनीति और सामाजिक सरोकारों के लिए एक युग का अंत है। उन्होंने हमेशा महिलाओं, शिक्षा और सामाजिक समानता के मुद्दों को प्राथमिकता दी और अपना जीवन इनकी सेवा में समर्पित कर दिया।
उनकी याद एक प्रखर वक्ता, संवेदनशील नेता और प्रेरक महिला व्यक्तित्व के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।
क्या आप चाहें तो इस विषय पर एक श्रद्धांजलि वीडियो स्क्रिप्ट या सोशल मीडिया पोस्ट के लिए कैप्शन भी तैयार कर सकता हूँ?