मुंबई, 11 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत ने सोमवार को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की परमाणु हमले की धमकी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि परमाणु हथियारों का डर दिखाना पाकिस्तान की पुरानी आदत है, लेकिन भारत किसी भी तरह के न्यूक्लियर ब्लैकमेल के सामने झुकेगा नहीं। मंत्रालय ने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा करना आता है और किसी मित्र देश की धरती से इस तरह की टिप्पणी किया जाना खेदजनक है। यह बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि उस देश की भी छवि पर सवाल उठाता है, जिसके परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर संदेह है और जिसकी सेना पर आतंकियों से संबंध रखने के आरोप लगते रहे हैं। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका दौरे पर गए जनरल मुनीर ने रविवार को टाम्पा के ग्रैंड हयात होटल में पाकिस्तानी मूल के कारोबारी अदनान असद द्वारा आयोजित डिनर में कहा कि वे भारत में सिंधु नदी पर डैम बनने का इंतजार करेंगे और उसके बाद 10 मिसाइलें दागकर उसे गिरा देंगे। उन्होंने दावा किया कि सिंधु नदी भारत की निजी संपत्ति नहीं है और पाकिस्तान के पास मिसाइलों की कोई कमी नहीं है। मुनीर ने चेतावनी दी कि भारत द्वारा सिंधु जल समझौता रद्द करने से पाकिस्तान के 25 करोड़ लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो सकता है। उन्होंने यहां तक कहा कि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है और अगर वह डूब रहा होगा तो आधी दुनिया को अपने साथ ले जाएगा।
यह दो महीने में मुनीर की दूसरी अमेरिका यात्रा है। इस बार वे अमेरिका की मध्य कमान (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला के सेवानिवृत्ति समारोह में शामिल होने फ्लोरिडा पहुंचे थे, जहां इजराइली रक्षा बलों का एक प्रतिनिधि भी मौजूद था। इससे पहले जून में वे वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ में शामिल हुए थे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ व्हाइट हाउस में दो घंटे की बंद कमरे में बैठक की थी। यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ की मेजबानी की। मुनीर ने भारत और अमेरिका के बीच हाल के टैरिफ विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान को विश्व शक्तियों के बीच संतुलन बनाने की मास्टर-क्लास देनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान ने राष्ट्रपति ट्रम्प को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है, क्योंकि उनके अनुसार ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपनी कूटनीतिक पहल से बड़े संघर्ष को टालने में अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तानी सरकार के मुताबिक, ट्रम्प ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों से बातचीत कर संघर्षविराम सुनिश्चित करने में मदद की थी, जिससे दो परमाणु ताकत वाले देशों के बीच युद्ध का खतरा टल गया।