दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में खतरनाक प्रदूषण के स्तर को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने सरकारी मंत्रियों और अधिकारियों के काम करने के तरीके पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि जो अधिकारी वातानुकूलित और एयर प्यूरीफायर वाले माहौल में काम कर रहे हैं, वे कैसे इस गंभीर संकट की वास्तविकता को समझ पाएँगे, जिसका सामना आम जनता कर रही है।
किरण बेदी ने मंत्रियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए सवाल किया: "NCR में हमारे कितने माननीय मंत्री एयर प्यूरीफायर के साथ या बिना एयर प्यूरीफायर के काम कर रहे हैं? उनमें से कितनों को सीने में जकड़न, खांसी, नाक बंद या बहने की समस्या है?"
उन्होंने उन सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की, लेकिन साथ ही जोर देकर कहा: "क्या यह उनका कर्तव्य नहीं है कि वे खुद की रक्षा करने से पहले अपने लोगों की रक्षा करें?"
प्यूरीफायर में बैठकर हकीकत से दूरी
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि अधिकारी सरकारी खर्चे पर उच्च सुरक्षा और साफ हवा वाले माहौल में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा:
"अधिकारी प्यूरीफायर वाले ऑफिस में काम कर रहे हैं, प्यूरीफायर वाली कार में चल रहे हैं और प्यूरीफायर वाले घर में रह रहे हैं, उन्हें बाहर की हवा की क्वालिटी कैसे पता चलेगी?"
उन्होंने बताया कि कई लोग सीने में जकड़न, नाक बहने, छींकने और खांसी से परेशान हैं, कई को बुखार भी है और वे एनर्जी कम महसूस कर रहे हैं। बेदी ने साफ कहा कि सभी को हेल्दी हवा चाहिए और यह लोगों का एक अधिकार है।
पीएम मोदी से अपील और 'गवर्नेंस में तालमेल' की कमी
किरण बेदी ने इस संकट से निपटने के तरीके की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश का एयर-पॉल्यूशन संकट आज का कोई हादसा नहीं है, बल्कि यह दशकों से गवर्नेंस में सही तालमेल न होने का नतीजा है। उन्होंने अब 'एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने' के बजाय, मिलकर काम करने वाले और सोच-समझकर हल निकालने वाले प्रशासन की तरफ पूरी तरह से बदलाव की ज़रूरत बताई।
पूर्व आईपीएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि इस संकट का कारण क्या है और कौन हमें इस स्थिति तक लेकर आया, इस पर एक वाइट पेपर में दर्ज होना चाहिए।
उन्होंने पीएम मोदी से हर महीने दिल्ली और उसके आसपास वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों व मुख्य सचिवों के साथ वर्चुअल बैठक करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यदि यह सब प्रधानमंत्री की निगरानी में होगा, तो लोगों को भरोसा मिलेगा कि समस्या को गंभीरता से हल किया जा रहा है।
फील्ड में उतरने का आग्रह
बेदी ने सरकारी अधिकारियों से अपने ‘सैनिटाइज्ड’ मीटिंग रूम से बाहर निकलकर स्मॉग से भरी सड़कों पर आने का आग्रह किया।
उन्होंने जोर दिया कि सबसे अच्छा सेंसिटाइज़ेशन है "रोज बाहर आना, फील्ड में, खुले आसमान के नीचे और हवा में सांस लेना।" उन्होंने कहा, "सैनिटाइज़्ड बाड़ों से बाहर आना और सड़कों पर चलना जरूरी है।" उनके अनुसार, अगर हर एजेंसी लीडरशिप, विजिबिलिटी, कंसिस्टेंसी और कोऑर्डिनेशन के साथ अपना रोल निभाए, तो NCR के एयर पॉल्यूशन को असरदार तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है।