अभिनेता अमोल पाराशर, जो हर रोल में अपनी खास छाप छोड़ते हैं, इन दिनों दो बिल्कुल अलग-अलग वेब सीरीज़ के चलते सुर्खियों में हैं – ‘कुल: दलेगेसी ऑफ़ द रायसिंह’ और ‘ग्राम चिकित्सालय’। दोनों ही शोज़ में उनके किरदार एक-दूसरे से बिल्कुल उलट हैं – एक तरफ एक गहरे, थोड़ा अंधेरेकिरदार ‘अभिमन्यु’, तो दूसरी तरफ एक नेक दिल इंसान ‘प्रभात’।
 
हाल ही में एक इंटरव्यू में अमोल ने बताया कि दोनों किरदार निभाना आसान नहीं था, लेकिन सबसे ज़्यादा मुश्किल था खुद को ‘अभिमन्यु’ जैसा बनानेकी कोशिश करना।
 
“अब तक के जितने भी किरदार मैंने निभाए हैं, उनमें अभिमन्यु सबसे खराब इंसान है, और प्रभात सबसे अच्छा। प्रभात बहुत अच्छा सोचता है, उसकेलिए सबका भला ज़रूरी है। जबकि अभिमन्यु अलग है, उसके जैसे बनने के लिए मुझे काफी सोच-विचार करना पड़ा!” अमोल ने बताया कि प्रभात केकिरदार के लिए उन्हें ज़्यादा प्लानिंग नहीं करनी पड़ी, क्योंकि वो अंदर से अच्छा है और उसकी सोच साफ है। लेकिन अभिमन्यु का किरदार करते हुएउन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी।
 
“मैं चाहता तो अभिमन्यु को गुस्से और शोर के साथ दिखा सकता था, लेकिन मैंने उसके अंदर की सोच समझने की कोशिश की। मुझे ये जानना था किवो ऐसा क्यों है। अगर वक्त और टीम अच्छी हो, तो ऐसी तैयारी मज़ेदार होती है।” सबसे दिलचस्प बात उन्होंने ये कही — “मैं मानता हूं कि इसदुनिया में बुरे लोग खुद को बुरा नहीं मानते। यही समझना सबसे मुश्किल था।”
 
इस एक लाइन से साफ है कि अमोल सिर्फ एक्टिंग नहीं करते, वो अपने किरदारों को जीते हैं – चाहे वो अच्छे हों या बुरे।
 
जब उनसे पूछा गया कि दोनों शोज़ का एक साथ रिलीज़ होना कैसा रहा, तो अमोल बोले: “एक शो रिलीज़ हो, तो भी नर्वसनेस होती है, लेकिन मेरेदो शो एक के बाद एक रिलीज़ हो रहे थे, तो थोड़ी और घबराहट थी। अगर मेरे हाथ में होता, तो मैं दोनों शो एक महीने के अंतर पर रिलीज़ करता।”
 
‘कुल’ जियो-हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रहा है और वही ‘ग्राम चिकित्सालय’ प्राइम वीडियो पर, और दोनों में ही अमोल की परफॉर्मेंस देखने लायक है।
 
अमोल पाराशर आज के दौर के उन एक्टर्स में से हैं, जो सिर्फ हीरो या विलन बनने के लिए एक्टिंग नहीं करते – वो इंसानों की असल भावनाएं, कमजोरियां और सोच समझते हैं और उन्हें पर्दे पर सच्चाई के साथ उतारते हैं। और शायद इसी लिए, वो हर बार हमारे दिल तक पहुंच जाते हैं – कभीएक सच्चे इंसान की तरह, और कभी एक ऐसे किरदार के रूप में, जिसे समझने में हमें भी खुद पर सवाल उठाने पड़ें।